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अररियाः प्रशासनिक उदासीनता का शिकार है आरएस पोखर, मुसलमान खुद खड़े होकर करते हैं घाट पर सारा इंतजाम - chhath mahaparv in araria

यह घाट गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है. इस घाट में मछली पालन का काम होता है और यह तालाब एक मुस्लमान भाई का है. जो हर साल छठ पूजा के समय खुद खड़े होकर सारी व्यवस्था कराते हैं. उनकी ही जमीन पर एक मंदिर भी बना हुआ है.

छठ घाट की सफाई करते लोग

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Published : Nov 2, 2019, 12:29 PM IST

अररियाः बिहार में हर तरफ छठ की धूम है. पूजा को लेकर कई जगहों पर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है. वहीं, अररिया का आरएस पोखर नगर परिषद की उदासीनता का शिकार है. यहां छठ को लेकर प्रशासन की तरफ से कोई पहल नहीं की गई. स्थानीय हिंदू और मुस्लमान चंदा इकट्ठा करके पोखर की सजावट में अब तक लगे हैं. यही वजह है कि यहां के लोगों ने छठ घाट की व्यवस्था को लेकर नाराजगी जाहिर की है.

छठ घाट की सजावट करते लोग

गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है आरएस पोखर
आरएस इलाके के लोगों का कहना है कि नगर परिषद की ओर से इस घाट पर कभी भी कोई इंतजाम नहीं किया जाता. नगर परिषद पर लोगों ने सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया है. यह घाट गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है. इस घाट में मछली पालन का काम होता है और यह तालाब एक मुस्लमान भाई का है. जो हर साल छठ पूजा के समय खुद खड़े होकर सारी व्यवस्था कराते हैं. उनकी ही जमीन पर एक मंदिर भी बना हुआ है. आजादी के समय से ही यहां छठ होता आ रहा है.

व्रतियों की सुरक्षा के लिए प्रैक्टिस करता युवक

व्रतियों की सुरक्षा में लगा रहता है मुस्लिम युवक
मजे की बात तो ये है कि छठ व्रतियों की सुरक्षा के लिए एक मुस्लिम लड़का यहां तैनात रहता है. जो कपड़े के थैला में कोल्डड्रिंक की खाली बोतल डालकर घाट पर लोगों को डूबने से बचाता है. लेकिन यहां के लोगों का दुख यह कि जिस तरह से नगर परिषद दूसरे प्रखंड पंचायत में छठ घाटों का निरीक्षण, साफ सफाई और सुरक्षा का इंतजाम करता है, उस तरह से आरएस घाट पर कोई काम नहीं करवाता. स्थानीय लोग ही खुद से सारा इंतजाम करते हैं.

जानकारी देते स्थानीय लोग

कभी बड़े व्यवसायियों का अड्डा था आरएस इलाका
बता दें कि अररिया नगर परिषद क्षेत्र का यह आरएस इलाका एक जमाने में बड़े व्यवसायियों का अड्डा हुआ करता था. लोगों का कहना है कि जब से अररिया जिला बना तब से ही जिला प्रशासन किसी भी तरह के अवसर पर इधर अपना ध्यान आकृष्ट नहीं करता. इस आरएस इलाके में करीब हजार की संख्या में परिवार बसे हुए हैं. जहां हिंदू-मुस्लिम बड़े ही प्रेम के साथ जिंदगी गुजारते हैं.

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