अररिया:बिहार में क्वॉरेंटाइन सेंटर पर कुव्यवस्था की चर्चाएं आम हो गई है. दूसरे राज्यों से आ रहे प्रवासियों को जिले में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. जिले के सिकटी प्रंखड स्थित डेढ़ुआ सोहडीह विद्यालय के क्वॉरेंटाइन सेंटर में रह रहे प्रवासियों के सामने खाने पीने का संकट है. ऐसे हालात में प्रवासियों का खाना सेंटर पर मिलने के बजाए घर से आता है.
प्रवासी मजदूर अशोक पासवान, गुलशन पासवान और चंदन पासवान ने बताया कि वे लोग नेपाल में ईंट-भट्टा पर मजदूरी करते थे. लॉक डाउन में दो महीने वहां फंसे रहे. नेपाल सरकार की तरफ से आने का कोई प्रबंध नहीं किया गया तो किसी छुप कर वापस अपने गांव डेढुआ पासवान टोला पहुंचे. लेकिन ग्रामीणों ने वहां से वापस लौटा दिया. क्वॉरेंटाइन और जांच के बाद ही गांव में प्रवेश देने की बात कही गई.
सेंटर पर सुविधाओं का घोर अभाव
प्रवासियों में दो बच्चों की मां मिलन देवी के अलावा दो गर्भवती महिलाएं पारो देवी और भारती देवी. इन्हें कभी भी डॉक्टरों की जरुरत पड़ सकती है. इसलिए जांच कर वापस अपने गांव भेजे जाने की मांग कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि क्वॉरेंटाइन सेंटर पर कोई सुविधा नहीं है. चापाकल का पानी पीने लायक नहीं है. शौचालय में ताला जड़ा है. वहीं, शिकायत करने पर स्कूल के प्रधानाध्यापक ने पैसा जमा कर चापाकल चालू करवाने की नसीहत दी.
क्वॉरेंटाइन सेंटर में मौजूद महिलाएं गर्भवती को घर भेजने की मांग
प्रवासियों को खाना पहुंचाने आये परिजन ने कहा कि सेंटर पर कोई व्यवस्था नहीं है. इससे लोगों को काफी तकलीफ हो रही है. सेंटर में बच्चों को खाना और पीने के लिए पानी पहुंचाना पड़ रहा है. लेकिन इस तरफ कोई ध्यान देने वाला नहीं है. परिजनों ने मांग किया है कि सरकार जल्दी जांच करा कर घर भेजे क्योंकि गर्भवती महिलाओं को यहां रहने में काफी तकलीफ हो रही है.
क्वॉरेंटाइन सेंटर में मौजूद बच्चा