अररियाः जिला मुख्यालय में दर्जनों नर्सिंग होम और पैथोलॉजी सेंटर ऐसे हैं जो अवैध तरीके से चल रहे हैं. जिसके कारण मरीजों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है. मरीजों की मौत और हंगामा के बाद स्वास्थ्य माफिया मैनेज करने में जुट जाते हैं. वहीं, दो महीने बीत जाने के बाद भी एक मामले की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आ पायी है. हालांकि इसके पीछे प्रशासन की लापरवाही भी सामने आ रही है.
दरअसल 12 अक्टूबर को अररिया नर्सिंग होम में इलाज के लिए एक प्रसूता को भर्ती कराया गया था. जहां ऑपरेशन के दौरान उसकी मौत हो गई थी. हंगामा के बाद हरकत में आया स्वास्थ्य विभाग ने नर्सिंग होम को सील कर दिया था. जिस डॉक्टर ने पेशेंट का दोबारा इलाज किया था उस पर मुकदमा करने के बजाए नर्सिंग होम के जमीन मालिक पर किया गया था. हालांकि मामला उजागर होने के बाद आरोपी डॉ. के.एस. दास पर एफआईआर किया गया.
दो मामलों की जांच कर रहे हैं आशुतोष कुमार
कुछ ऐसा ही एक मामला दो दिन पहले आशा नर्सिंग होम में हुआ. जहां इलाज के दौरान प्रसूता की मौत के बाद हंगामा हुआ. इस मामले को दबाने की पूरी कोशिश की गई. जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में भी जांच के आदेश दिए हैं. दोनों नर्सिंग होम की जांच का जिम्मा पीएचसी प्रभारी आशुतोष कुमार को दिया गया है. हालांकि सिविल सर्जन मदन मोहन सिंह का कहना है कि पुराने मामले का जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आया है.
ईटीवी भारत संवाददाता कि रिपोर्ट सुरक्षा के बिना कार्रवाई अधूरी
हालांकि आशुतोष कुमार ने मीडिया को बताया कि प्रशासन की तरफ से सुरक्षा नहीं दी गई, जिसके कारण जांच नहीं हो पाई है. जैसे ही पुलिस फोर्स की व्यवस्था होगी, कार्रवाई कर दोनों जांच रिपोर्ट सौंप दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि जब तक पुलिस फोर्स नहीं उपलब्ध कराया जायेगा, तब तक कार्रवाई संभव नहीं है.