बिहार

bihar

ETV Bharat / state

ग्राउंड रिपोर्ट : कागजों में सिमटी सरकारी नाव, प्लास्टिक ड्रम का नाव बनाकर गुजारा कर रहे ग्रामीण - जिला आपदा पदाधिकारी

अररिया के फारबिसगंज के तृसकुण्ड स्मॉल पंचायत को लोग बाढ़ की चपेट में है. सरकार की ओर से उन्हें नाव की व्यवस्था नहीं दी गई है. ड्राम से नाव बना कर ये लोग आवागमन कर रहे हैं.

ड्रम का नाव बनाकर गुजारा कर रहे ग्रामीण

By

Published : Jul 26, 2019, 10:18 AM IST

अररिया:जिले में बाढ़ का कहर जारी है. कई गांवों में पानी घुस गया है. बाढ़ की चपेट में आने से सबकुछ बर्बाद हो गया. लोग बेघर हो गए हैं. कहीं फसलें बर्बाद हो गई तो कहीं घर में रखा अनाज ही पानी में बह गया. कई जगहों पर सड़कें भी टूट गई हैं. इस कारण लोगों का कई गांवों से संपर्क टूट गया है. आवागमन बाधित है. लेकिन सरकार की तरफ से इन्हें नाव की सुविधा नहीं दी गई है.

बिहार का सबसे पिछड़ा जिला अररिया, जहां हर साल बाढ़ का मंजर भयावह दिखता है. लोग उसी सहारे जिन्दगी भी गुजारते हैं. सरकार की उदासीन रवैये से ये काफी मायूस हैं. फारबिसगंज के तृसकुण्ड स्मॉल पंचायत में लोग फंसे हुए हैं. बाढ़ में बहे सड़कों का काम तो दो दिन पहले शुरू हो चुका है लेकिन पिछले 15 दिनों से यहां के ग्रामीण एक अदद नाव के लिए तरस गए हैं. इन्हें सरकार की ओर से नाव की व्यवस्था नहीं कराई गई है.

पेश है रिपोर्ट

प्लास्टिक के ड्राम से बनाया नाव
लोगों ने खुद से प्लास्टिक के ड्राम से नाव बनाया है. हालांकि सुरक्षा के दृष्टिकोण से ये सही नहीं है. फिर भी लोग इस नाव के जरिए नदी की तेज धार में आने जाने को मजबूर हैं. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि मुखिया से लेकर विधायक तक कोई भी इनकी सुध लेने नहीं आया. न हीं प्रशासनिक स्तर का कोई भी अधिकारी यहां आया है. इन्हें किसी भी प्रकार का सरकारी सहायता प्रदान नहीं किया गया है.

शंभू कुमार, जिला आपदा पदाधिकारी

क्या कहते हैं जिला आपदा पदाधिकारी
मामले पर जिला आपदा पदाधिकारी शंभू कुमार का कहना है कि नियम अब बदल चुका है. सरकार ने विधायक को अपने विधानसभा क्षेत्र में 5-5 नाव की व्यवस्था करने को कहा है. फारबिसगंज के विधायक ने 10 नाव बनाने की अनुशंसा की है. जिला योजना पदाधिकारी ने रानीगंज के नाव निर्माता को नाव बनाने के लिए तय किया है. उनकी ओर से चार नाव की आपूर्ति फारबिसगंज में की जा चुकी है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details