अररिया:कृषि कानून के खिलाफ भाकपा माले का आंदोलन जारी है. पार्टी के कार्यकर्ता और नेता किसानों को जागरूक करने के लिए कृषि कानून के विरोध में जागरूकता रथ चला रहे हैं. ये जागरूकता रथ सोमवार को सुपौल, सहरसा और मधेपुरा का भ्रमण कर अररिया पहुंचा, जहां एक सभा का आयोजन किया गया.
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इस सभा में माले नेताओं ने 18 मार्च को कृषि कानून के खिलाफ विधानसभा का घेराव करने का आह्वान किया. साथ ही सभी कार्यकर्ताओं और किसानों से विधानसभा घेराव में शामिल होने की अपील की.
कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष जारी
सभा में शामिल भाकपा माले के जिला सचिव रामविलास यादव, अजित पासवान, आइसा छात्र संघ के सचिव आजाद आलम ने संयुक्त रूप से कहा कि देश में कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष जारी है. कई बार इस किसान आंदोलन को सरकार ने कुचलने का प्रयास किया है. लेकिन इसके बावजूद आंदोलन जारी है. अब इस आंदोलन ने विराट रूप धारण कर लिया है.
लाल झंडे के नेतृत्व में हक की लड़ाई
इसके अलावा रामविलास यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार को सत्ता से बाहर करने के संकल्प के साथ यह आंदोलन अब आजादी की दूसरी लड़ाई में बदल गई है. मोदी सरकार के बहु प्रचारित किसान सम्मान निधि योजना में भूमिहीन किसानों और बटाईदारों के लिए कोई प्रावधान नहीं है. उनकी हक की लड़ाई सिर्फ लाल झंडे के नेतृत्व में लड़ी जा सकती है.
कई योजनाएं हो जाएगी ध्वस्त
आइसा छात्र संघ के सचिव के मो. आजाद आलम ने कहा कि यह तीनों कृषि कानून हमारी खेती को बर्बाद कर देगा. गहरा खाद संकट पैदा करेगा और जन वितरण पोषाहार और आंगनबाड़ी जैसी योजनाएं ध्वस्त हो जाएंगी. आवश्यक वस्तुओं के भंडारण की अनुमति कालाबाजारी और व्यापक महंगाई का विस्तार करेगी. इसकी सबसे अधिक मार गरीबों और आम लोगों को झेलनी होगी. गरीबों का जीवन और भी संकट में चला जाएगा. इससे दूसरे कंपनी का राज स्थापित होने का रास्ता खुल जाएंगे. इससे छोटे किसान और मजदूर गुलामी की ओर अग्रसर हो जाएंगे.
संघर्ष में साथ देने की अपील
मो. आजाद आलम ने कहा कि लोगों के पास कोई रास्ता नहीं बचेगा, लोग कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए मजबूर हो जाएंगे. इसलिए हम तमाम युवा मजदूर और किसानों से अपील करते हैं कि समय रहते सचेत हो जाइए. साथ ही सरकार को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमारे संघर्ष में हमारा साथ दें.