अररियाःआखें हमारी शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग मानी जाती हैं. जरा सोचिये... अगर आप को दो आंखों के बजाए एक तीसरी आंख मिल जाए तो आपकी प्रतिभा का आलम क्या होगा? कुछ ऐसा ही हुआ है, अररिया के सिकटी प्रखंड के भड़भिड़ी गांव (Bhadbhid Village Of Sikta Block) में. जहां बच्चे हैरान करने वाले कारनामे दिखा रहे हैं. ये बच्चे आंखों पर मोटी पट्टी बांधकर फर्राटे से किसी किताब को सिर्फ महसूस कर पढ़ लेते हैं. इतना ही नहीं बंद आंखों से रंग भी पहचानते हैं और रुपये पर अंकित सीरियल नंबर भी बिना देखे बताते हैं. इन बच्चों को देखकर हर कोई हैरान है.
दिमाग का तीसरा हिस्सा होता है एक्टिवः यह एक ऐसा फॉर्मूला है, जिससे दिमाग का तीसरा हिस्सा यानि मिडब्रेन काम करना शुरू कर देता है. इसमें मेडीटेशन और लगातार अभ्यास की जरूरत होती है. जिसके बाद कोई भी बिना देखे पढ़ भी सकता है और सब कुछ पहचान भी सकता है. यहां तक की कलर भी बिना देखे पहचाना जा सकता है. हालांकि इस कहानी पर यकीन कर पाना लोगों के लिए नामुमकिन था. लिहाजा इन बच्चों तक पहुंचकर और सही मायने में ऐसा यहां हो भी रहा है या नहीं, इसका पता लगाया गया.
मनोविज्ञान की एक खास पद्धतिः दरअसल ये कोई चमत्कार नहीं बल्कि ये एक पद्धति है. जिसे मिडब्रेन एक्टिवेशन कहा जाता है. मनोविज्ञान की इस पद्धति के जरिए ही ये संभव हो पाता है. भड़भिड़ी गांव के एक युवक अनमोल यादव ने इसकी ट्रेनिंग जयपुर में ली और अब वो अपने गांव के बच्चों को इसके लिए ट्रेंड (Araria Children Training Mid Brain Activation) कर रहे हैं. इसी कोर्स के जरिये गांव के बच्चे ऐसा कर पाने में दक्ष होते जा रहे हैं. 2 सौ से अधिक बच्चे गांव में इसकी शिक्षा ले रहे हैं.
ट्रेनर अनमोल यादव बताते हैं- 'यह कोई जादू नहीं बल्कि शत प्रतिशत मनोविज्ञानी अभ्यास मात्र है. मिड ब्रेन में दो हिस्से होते हैं. बायां हिस्सा लौजिकल तो दाया हिस्सा क्रिएटिव होता है. मिड ब्रेन के दोनों हिस्सों को जब जोड़ दिया जाता है तो इसे मिडब्रेन एक्टिवेशनकहते हैं. इससे मेमोरीपॉवर, एकाग्रता, आत्मविश्वास, रचनात्मक शक्ति बढ़ती है और तनाव प्रबंधन में भी मदद मिलती है. इससे तंत्रिका कोशिका काफी एक्टिव हो जाती है. जिससे किसी भी चीज को बिना देखे महसूस किया जा सकता है'.