अररियाः जिले के पिपरा घाट पर पुल नहीं बनने के कारण लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं. फारबिसगंज अनुमंडल बनने के बाद अब तक यहां एक पुल भी नहीं बन पाया. जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों से ग्रामीण कई बार इसकी शिकायत कर चुके हैं. लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही दिया गया, पुल नहीं बना. लोग नाव पर सवार होकर नदी पार करते हैं.
दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित
दरअसल, अररिया के फारबिसगंज अनुमंडल पिपरा घाट पर स्थित दो दर्जन से ज्यादा गांव इस नदी पर एक पुल के लिए तरस रहे हैं. इलाके का जायजा लेने ईटीवी भारत की टीम जब यहां पहुंची तो गांव वालों ने अपना दर्द बयान किया. बता दें कि दो दिन पहले यहां नाव पलट गई थी, लेकिन एक बड़ा हादसा ग्रामीणों से सूझबूझ से टल गया.
नाव में घुसे पानी को निकालता नाविक नहीं हुआ कोई बदलाव
ग्रामीणों ने बताया कि 1990 में फारबिसगंज अनुमंडल बनने के बाद यहां कोई बदलाव नहीं हुआ. जनप्रतिनिधि हो या जिला प्रशासन बाढ़ के वक्त आते हैं और आश्वासन देकर चले जाते हैं. यहां चुनाव आते ही नेताओं का दौरा शुरू हो जाता है. गांव वालों की मांग है कि यहां पुल का निर्माण जल्द से जल्द किया जाए. ताकि लोगों की परेशानी दूर हो.
इमरजेंसी के लिए नाव है सहारा
गांव वालों का कहना है कि बाढ़ राहत में मिली राशि 6000 हजार रूपए की कोई जरूरत नहीं थी, अगर बाढ़ से निपटने के लिए तटबंध को बना दिया जाता. ग्रामीणों को किसी भी इमरजेंसी के लिए नाव ही सहारा है. किसी भी तरह की जरूरत पड़ने पर फारबिसगंज अनुमंडल जाने का नाव ही एक सहारा है. वह नाव भी टूटी हुई हैं, उसमें पानी घुस जाता है.
नाव से नदी पार करते लोग और बयान देते सांसद अर्धनिर्मित पड़ा है पुल
काफी प्रयास के बाद पुल निर्माण का कार्य शुरू भी हुआ तो वो भी एक साल से अर्धनिर्मित पड़ा है. कब तक कम्पलीट होगा किसी को पता नहीं है. हालांकि मौजूदा सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि बहुत जल्द बाढ़ की समस्या से यहां के लोगों को निजात मिल जाएगी. जो 70 वर्षों में नहीं हुआ वो अब हो जाएगा. सांसद ने बताया कि तकनीकी कारणों से पुल नहीं बना सका है अब बन जाएगा.