अररिया: मिनी दार्जिलिंग के रूप में प्रसिद्ध अररिया जिला इन दिनों भीषण जल संकट से जूझ रहा है. नदियों के जाल बिछे रहने के बावजूद भी आज जिले में पानी की समस्या ने विकराल रूप ले लिया हैं.
हिमालय की तराई में बसा अररिया जिला हमेशा से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है. इसके पीछे कीवजहथी, गर्मी का नाम मात्र एहसास होना. हालांकि अब पहले जैसी स्थिति नहीं रह गई है. हालात तो ऐसे बन गए हैं कि तालाब सूख गए हैं. नल से पानी निकलना बंद हो गया है. अब यहां का पारा भी 36 से लेकर 42 डिग्री तक रहता है. इस वजह से नदियां सूखती जा रही हैं.
बढ़ता जा रहा जल संकट
जमीन के नीचे का जल स्तर और नीचे गिरता ही चला जा रहा है. जिले की लाइफलाइन कही जाने वाली परमान नदी में पानी लगातार घटता जा रहा है. तालाब भी सूख गए हैं. किसान और स्थानीय लोग बताते हैं कि तालाब ही सिंचाई का एकमात्र साधन हुआ करता था, रोजगार भी इसी से जुड़ा था. लेकिन पिछले कुछ सालों से जिले की स्थिति में भारी परिवर्तन हुआ है. जिले में जल संकट बढ़ता जा रहा है.
नहीं सुधरे तो खरीद कर पीना पड़ेगा पानी
वहीं, जानकारों ने बताया कि यह सब ग्लोबल वार्मिंग का असर है. यहां तेजी से पेड़ पौधों को काटा गया है. इसका असर देखने को मिल रहा है कि जल के स्रोत सूखते जा रहे हैं. इसकी एक खास वजह नदियों का अतिक्रमण भी है. जहां पानी हुआ करता था आज उन जगहों पर मकान बनते जा रहे हैं. प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही के कारण सड़क निर्माण के नाम पर काटे गए पेड़ उस अनुपात में लगाए नहीं गए. यही वजह है कि मिनी दार्जिलिंग कहा जाने वाला अररिया जिला आज जल संकट से जूझ रहा है. लोगों को आगाह करते हुए कहते हैं कि अगर यही स्थिति रही तो 10 साल में यहां के लोगों को पानी भी खरीद कर पीना पड़ेगा.
कई नदियां खो चुकी हैं अस्तित्व
गौरतलब है कि हिमालय की तराई में बसे अररिया जिले से होकर परमान, कनकई, बकरा, कोसी, भुलवा, सीता धार जैसी दर्जनों नदियां गुजरती हैं. लेकिन नदियों के अतिक्रमण और उनमें बालू भर जाने के कारण कई नदियां अपनी अस्तित्व खो चुकी हैं. जिले की लाईफ लाइन परमान नदी साफ-सफाई के अभाव में सिकुड़ कर रह गई है. यही कारण है कि 2017 में भयानक बाढ़ ने पूरे जिले को तबाह और बर्बाद कर रख दिया था.