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रोहतास में बालू का खेल जारी, 179 करोड़ का 'पीला सोना' गायब होने से मचा हड़कंप

बिहार के रोहतास जिले में प्रशासन के नाक के नीचे बालू का अवैध खेल जारी है. 179 करोड़ रुपये का बालू चोरी होने के बाद बालू खनन के लिए लीजधारी कंपनी के खिलाफ केस दर्ज कराया गया है. पढ़ें पूरी खबर...

illegal sand business in rohtas
अवैध बालू का कारोबार

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Published : Sep 3, 2021, 1:03 PM IST

रोहतास: बिहार का 'पीला सोना' कहे जाने वाले बालू को लेकर रोहतास (Rohtas) जिले में सरकार के नाक के नीचे खेल जारी है. एक तरफ जहां माफिया तंत्र तो दूसरी तरफ जिला प्रशासन आमने सामने है. मामला तब और पेचीदा हो गया जब सोन नदी से निकाला गया 179 करोड़ रुपये का बालू चोरी हो गया. बात सामने आते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया है. आनन-फानन में अब तक विभिन्न थानों में 6 केस दर्ज कराए गए हैं.

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दरअसल, 1 जून से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) नदियों से बालू खनन (Sand Mining) पर रोक लगा देती है. इस दौरान नदियों से बालू निकालने पर पूरी तरफ प्रतिबंध रहता है. इसके चलते बालू उत्खनन करने वाली लीजधारी कंपनी को बालू स्टॉक कर रखने के लिए लाइसेंस निर्गत किया जाता है. इससे पहले ही अप्रैल 2021 में लीजधारी कंपनी आदित्य मल्टीकम प्राइवेट लिमिटेड ने अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया और बालू खनन से खुद को अलग कर लिया. इस दौरान रोहतास के 17 प्वाइंट्स पर बालू का स्टॉक दिखाया गया.

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बताया जाता है कि मई 2021 में डेहरी के अनुमंडल स्तर के पदाधिकारियों ने रिपोर्ट किया कि कुल स्टॉक किया गया बालू 4.83 करोड़ सीएफटी है, जबकि खनन विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट ने जुलाई में फिजिकल वेरिफिकेशन में बताया कि कुल स्टॉक बालू 5 करोड़, 75 लाख, 84 हजार सीएफटी है. डेहरी के स्थानीय प्रशासन की रिपोर्ट और खनन विभाग के प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट की मेजरमेंट में लगभग एक करोड़ सीएफटी का अंतर है.

सवाल तब खड़े हुए, जब अगस्त के प्रथम सप्ताह में खनन विभाग ने पाया कि स्टॉक किए गए बालू में से मात्र 49 लाख सीएफटी बालू ही बचा है, शेष बालू गायब है. इसके बाद खनन विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर गोपाल कुमार ने बालू खनन करने वाली लीजधारी कंपनी आदित्य मल्टीकम प्राइवेट लिमिटेड पर बालू चोरी का आरोप लगाते हुए रोहतास जिला के डेहरी, इंद्रपुरी, दरिहट, तिलौथू और डालमियानगर थाना में 6 अलग-अलग केस दर्ज कराया. गोपाल कुमार ने बताया कि 17 डंपिंग प्वाइंट पर बालू रखा गया था, जो गायब हो गया. इसकी कुल कीमत 179 करोड़ रुपये से अधिक है. इसके लिए आदित्य मल्टीकम प्राइवेट लिमिटेड जिम्मेदार है. कंपनी पर नीलामपत्र वाद भी दायर किया गया है.

खनन विभाग के पीएमयू (प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट) ने जुलाई के प्रथम सप्ताह में 5.76 करोड़ सीएफटी बालू स्टॉक पाया था. सवाल है कि प्रशासन के नाक के नीचे से एक महीना के अंदर बालू चोरी कैसे हो गया? खनन विभाग ने 5.27 करोड़ सीएफटी बालू चोरी का आरोप लगाया है. इसकी कीमत 179 करोड़ रुपये से अधिक है. अब मात्र 49 लाख सीएफटी बालू ही शेष बचा है.

आदित्य मल्टीकम प्राइवेट लिमिटेड का कहना है कि उन लोगों ने अप्रैल 2021 में ही अपना लाइसेंस सरेंडर कर दिया था. इसके बाद बालू की जवाबदेही उनकी नहीं है. वहीं, खनन विभाग का कहना है कि ऑफ सीजन में बालू डंप करने का 'के-लाइसेंस' आदित्य मल्टीकम प्राइवेट लिमिटेड को ही निर्गत है. ऐसे में बालू चोरी के लिए कंपनी जिम्मेदार है.

"स्टोर कर रखे गए बालू के गायब होने के संबंध में कई केस दर्ज कराए गए हैं. इस मामले में शामिल कंपनी या उसके कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. दोषियों की गिरफ्तारी के लिए एसआईटी बनाई गई है."- आशीष भारती, एसपी, रोहतास

अब सवाल उठता है कि एक महीना में 5.27 करोड़ सीएफटी बालू आखिर कैसे चोरी हो गया? जब ट्रकों पर भर-भर कर बालू ढोया जा रहा था उस समय जिला प्रशासन की नींद क्यों नहीं खुली? करोड़ों रुपये का बालू लुट गया और प्रशासन एफआईआर कर पल्ला झाड़ने में लगी है. बता दें कि उक्त मामले में पहले ही बालू माफियाओं से मिलीभगत के आरोप में डेहरी के एएसपी संजय कुमार और एसडीएम सुनिल कुमार पर सरकार ने कार्रवाई की है.

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