पटना:बिहार में पूर्ण शराब बंदी (Complete Liquor Ban) कानून लागू है या यूं कहें कि बिहार में पूर्ण नशाबंदी है. शराब बंदी के बाद बिहार में इन दिनों युवा वर्ग चरस गांजा स्मैक जैसे नशीले पदार्थों का सेवन करने लगे हैं. भागदौड़ की जिंदगी गलत संगति के कारण युवक के साथ अब महिलाएं भी कुछ हद तक नशे की आदी हो रही हैं. दरअसल, 14 से 25 आयु वर्ग के युवक नशे की चपेट में आ रहे हैं. इन लोगों के बीच बिहार के कई जिलों में स्मैक गांजा का प्रचलन बढ़ा है.
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बिहार में शराबबंदी के बाद एक और जहां शराब पीने वालों की संख्या काफी घटी है, वहीं स्मैक गांजा चरस की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. राजधानी पटना के नशा मुक्ति केंद्रों की बात करें तो लगभग 60% युवा स्मैक का शिकार होकर अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं. डॉ. मनोज की माने तो प्रशासन अपने स्तर से कार्य कर रहा है. लोकिन, हम सभी लोगों को भी हमारे आसपास के युवा वर्ग को जो कि रास्ते से भटक गए हैं, उन्हें समझा-बुझाकर नशा मुक्ति केंद्र ले जाना चाहिए और इसके दुष्परिणाम के बारे में उन्हें अवगत भी करवाना चाहिए. नशे के आदी युवा वर्ग नशे के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं.
''बिहार में नशीले पदार्थों का सेवन करने के लिए पैसों की एवज में कुछ युवक अपने घरों में ही चोरी करने लगे हैं. यहां तक कि अब वह राह चलते मोबाइल स्नैचिंग भी कर रहे हैं. कुछ युवक नशे के आदी होने की वजह से अपना खून बेच कर भी नशा करते हैं. ऐसे कई मामले उनके सामने आ चुके हैं. शारीरिक रूप से कमजोर होने के साथ-साथ वैसे युवा मानसिक रूप से भी कमजोर हो रहे हैं.''-डॉ. मनोज कुमार, अधीक्षक, गार्डिनर हॉस्पिटल पटना
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बता दें कि राजधानी पटना के कई युवा ड्रग्स के शिकार हो रहे हैं. कोई ब्राउन शुगर, कोई चरस, तो कोई अफीम ले रहा है. डॉक्टर मनोज की मानें तो राज्य सरकार ने नशाबंदी कानून लागू कर अच्छा कदम उठाया है, जिसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है. परंतु समाज में इस तरह के नशीले पदार्थों के खिलाफ अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करने की जरूरत है.
राजधानी में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें ड्रग्स के कारण अपने दोस्त को खोने के बाद अन्य दोस्त नेटवर्क का भंडाफोड़ करने थाना पहुंच गए थे. आपको बता दें कि राजधानी पटना के कई इलाकों में जैसे गांधी मैदान के अंटाघट फरीरबारा, पिरबोहर थाना अंतर्गत चंबल घाटी के अलावे कई जगह पर स्मैक और चरस की बिक्री होती है. इसके अलावा गांजा की बात करें तो राजधानी पटना के कई चौक चौराहों पर पान की गुमटी में भी गांजे की बिक्री आसानी से हो रही है.
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गांव देहात की तुलना में राजधानी पटना सहित बिहार के बड़े शहरों में स्मैक, चरस, अफीम का लोग सेवन कर रहे हैं और ये आसानी से वहां उपलब्ध भी हो रहा है. गांव देहात में जहां गांजा आम बात है तो वहीं राजधानी पटना सहित बिहार के बड़े शहर जैसे आरा, बक्सर, छपरा, भागलपुर जैसे बड़े शहरों में स्मैक और चरस के लोग आदि होते जा रहे हैं. दरअसल, नशीले पदार्थ बिहार ही नहीं देश और विदेशों के लिए एक बड़ी समस्या बन चुके हैं.
आर्थिक अपराध इकाई जो कि नशीली पदार्थ की भी एक नोडल एजेंसी है, इसके अलावा एनसीबी और एसएसबी द्वारा भी नशीली पदार्थों की तस्करी करने वालों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है. नार्कोटिस ट्रैफिकिंग के जरिए देश के विभिन्न राज्यों तक नशीले पदार्थ पहुंचाए जा रहे हैं, जिसका खामियाजा यहां के युवाओं को उठाना पड़ रहा है. दरअसल, एनसीबी, एसएसबी और आर्थिक अपराध इकाई द्वारा कई स्मगलर को गिरफ्तार भी किया गया है. इसके बावजूद भी नशे का कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है.