पटना: लेखक अरुण कुमार और उनकी पत्नी पटना की सड़कों पर रोजोना 8 से 10 घंटे खड़े होकर अपने हाथों में पोस्टर लेकर किताब को बेचते (Arun selling book on Patna streets with wife) नजर आ रहे हैं. उस पोस्टर में लिखा हुआ है 'मैं नया लेखक हूं और पटना से सपोर्ट चाहिए'. पटना यूनिवर्सिटी के पास पति-पत्नी एक टेबल लगाकर किताबें बेचते हैं. वहां से गुजरने वाले युवक और युवती एक बार रुक कर उनकी किताब देख भी रहे हैं और खरीद भी रहे हैं. खास बात यह है कि सिर्फ एक टेबल है जिस पर कुछ किताबें रखी हुई है. बैठने के लिए इनके पास कुछ भी नहीं है.
दरअसल, पटना के रहने वाले अरुण कुमार 12वीं पास हैं. उन्होंने अपनी पढ़ाई-लिखाई छोड़कर फिल्म इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए घर-बार छोड़कर 7 साल पहले मुंबई का रूख. लेकिन काफी साल तक स्ट्रगल करने के बाद भी फिल्म इंडस्ट्री में मौका नहीं मिला. ऐसे में अरुण के पास बिहार वापस आने के सिवा और कोई रास्ता नहीं था. लेकिन बड़ा सवाल था कि अब आगे क्या?. जब अरुण से जिंदगी सवाल पूछ रही थी कि जिंदगी में आगे क्या करना तो उस वक्त उनका साथ उनकी हमसफर ने दिया. पत्नी ने कहा तुम कुछ लिखते क्यों नहीं हो? काफी सोचने के बाद अरुण ने कलम थामी और किताब लिखने बैठ गया. अरुण ने अपने जीवन में घटित घटनाओं के साथ-साथ अन्य कई मुद्दों पर किताब लिखी.
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दरअसल, अरुण की किताब का नाम है 'वीरा की शपथ'. पुस्तक की शुरुआत में ही एक दोहा लिखा लिखा है जो मंत्रमुग्ध कर रहा है. ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान लेखक अरुण कुमार ने बताया कि यह उपन्यास 5 फरवरी को दिल्ली में लांच की थी. इसके बाद वह पटना आए और कई पब्लिशरों से किताब छापने के साथ-साथ उसको प्रमोट करने की भी गुजारिश की परंतु कोई राजी नहीं हुआ. इसके बाद उन्होंने अपनी खुद की लिखी हुई किताब को सड़क पर खड़े होकर बेचने का निर्णय लिया.
लेखक अरुण कुमार ने बताया कि अब तक करीबन 900 किताबों की बिक्री हो चुकी है. जब हमने उनसे पूछा कि दिन भर आप हाथ में पोस्टर लेकर और खड़े होकर किताब बेचते हैं. आपको तकलीफ नहीं होती, उन्होंने कहा कि असफलता से बड़ा कोई दर्द नहीं होता है. पटना यूनिवर्सिटी के सड़क के किनारे बेच रहे लेखक अपनी किताब के जरिये यह बताने की कोशिश कर रहे है कि कर्मठ कभी बहाने नहीं बनाते हैं. इसके अलावा अमेजॉन पर भी उनकी यह किताब उपलब्ध है. वहां से भी लोग खरीदारी कर रहे हैं.
लेखक अरुण कुमार बताते हैं कि प्रेम और असफलता जीवन की सबसे बड़ी प्रेरणा होती है. प्रेम जो हमारे साथ खड़ी है, उनकी पत्नी. उन्होंने बताया कि साल 2011 में वह घर छोड़कर अभिनेता बनने के लिए मुंबई गए थे और फेल होने के बाद उनकी पत्नी ने उन्हें शायर-लेखक बनने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद आज वह कामयाब हुए और अपनी किताब लिखी है.