पटना:जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Election Strategist Prashant Kishor) ने अपने एक बयान से बिहार की राजनीति में एक बार फिर भूचाल ला दिया है. दरअसल एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Prashant Kishor Wants to Work With Nitish Kumar) के साथ काम करने की इच्छा जताई है. उनसे जब पूछा गया कि वो कौन से नेता हैं, जिनके साथ वो दोबारा से काम करना चाहते हैं तो इसका जवाब देते हुए उन्होंने नीतीश का नाम लिया.
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प्रशांत किशोर एक समय में नीतीश कुमार के बेहद करीबी नेता माने जाते थे. २०१५ के बिहार विधानसभा चुनाव की जीत में उनकी अहम भूमिका रही थी. तब नीतीश ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. हालांकि नीतीश और उनकी जोड़ी ज्यादा दिनों तक चल नहीं पाई. जैसे ही नीतीश कुमार महागठबंधन से अलग होकर फिर से बीजेपी के साथ चले गए, इन दोनों के बीच भी खटास पैदा हो गई.
प्रशांत किशोर को एक कुशल राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है. यही कारण है कि वो देश के लगभग सभी बड़े राजनीतिक दलों के साथ काम कर चुके है. उनकी असली पहचान साल 2014 के लोकसभा चुनाव से बनी, जब उन्होंने बीजेपी के लिए काम करना शुरू किया और नरेंद्र मोदी को प्रचंड जीत दिलाई. जीत के श्रेय प्रशांत किशोर को दिया गया था. फिर उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
कहा जाता है कि 'चाय पर चर्चा' के पीछे का दिमाग प्रशांत किशोर का ही था, जिसके चलते मोदी की लोकप्रियता सबसे जादा बढ़ी. शायद यही कारण है कि उनकी रणनीति की जरुरत सभी बड़े राजनीतिक दलों को पड़ी. चाहे वो ममता बनर्जी हो, राहुल गांधी हो, जगनमोहन रेड्डी हो, स्टालिन हो या फिर कैप्टन अमरिंदर सिंह हो.
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बिहार से बक्सर जिले में जन्मे प्रशांत किशोर की पहचान एक नेता से कहीं अधिक चुनावी रणनीतिकार की है. चुनावी राजनीति में उन्हें महारथ हासिल है. शायद यही कारण है कि वो राजनीति की नब्ज को भली भांति समझते हैं. उनकी एक खासियत ये भी है कि जिसके साथ काम करते हैं, उनकी आलोचना करने से भी नहीं कतराते हैं. चाहे वो नीतीश हो, बीजेपी हो या फिर कांग्रेस. हाल ही में पीके ने कहा था कि पिछले एक दशक में कांग्रेस नब्बे फीसदी चुनाव हारी है और यहां तक कह दिया था कि बीजेपी दशकों तक कहीं नहीं जाने वाली है.