पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राज्यसभा जाने की इच्छा (Nitish Kumar Wants to Become Rajya Sabha MP) ने बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है. पत्रकारों के साथ अनौपचारिक बातचीत में उनके राज्यसभा में जाने की बात करने के बाद से ये चर्चा शुरू हो गई कि क्या नीतीश सिर्फ इसलिए उच्च सदन जाना चाहते हैं, क्योंकि वे लोकसभा, विधानसभा और विधान परिषद के साथ-साथ सभी चारों सदन का सदस्य बनने की ख्वाहिश रखते हैं या उनकी कोई राजनीतिक मजबूरी है? असल में ये सवाल इसलिए भी, क्योंकि पहले के मुकाबले विधानसभा में संख्या बल के हिसाब से जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी है. ऐसे में उन पर हमेशा बीजेपी की तरफ से एक किस्म का दबाव रहता है.
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नीतीश की ख्वाहिश या मजबूरी? :बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए को बहुमत तो मिल गया लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को केवल 43 सीटें मिली थी और पार्टी तीसरे नंबर पर पहुंच गई. हालांकि अब जेडीयू की संख्या बढ़कर 45 हो गई है. वहीं, बीजेपी की सीटों की संख्या 77 है. दोनों दलों में सीटों के अंतर की बात करें तो 32 सीट का बड़ा अंतर है. बीजेपी विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है और बीजेपी के विधायक अपने बयानों से लगातार दबाव भी बना रहे हैं. बीजेपी विधायक विनय बिहारी ने तो उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद को मुख्यमंत्री बनाने की चर्चा भी छेड़ दी. उनका कहना है कि हम लोग चाहेंगे कि मुख्यमंत्री हमारी पार्टी से हो. वहीं बीजेपी विधायक पवन जायसवाल का कहना है कि नीतीश कुमार ने जो राज्यसभा जाने की इच्छा जताई है, हम लोग उसका स्वागत करते हैं. साथ ही उनको शुभकामना भी देते हैं.
आरजेडी का बीजेपी पर हमला:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राज्यसभा जाने की इच्छा पर आरजेडी विधायक मुकेश रोशन ने कहा कि हर किसी को धोखा देना वास्तव में बीजेपी की आदत रही है. पहले वीआईपी चीफ मुकेश सहनी को यूज एंड थ्रो किया और अब सीएम नीतीश कुमार की बारी है. उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोग जबतक नीतीश कुमार को मिट्टी में नहीं मिला देगी, तब तक उन्हें छोड़ने वाली नहीं है.
सीएम को लेकर जेडीयू की चुप्पी: हालांकि इस मामले में जेडीयू साफ-साफ बोलने से बच रहा है. बिहार सरकार में मंत्री और वरिष्ठ नेता श्रवण कुमार ने विनय बिहारी के बयान पर कहा कि यदि उनका व्यक्तिगत बयान है तो उस पर मुझे कुछ नहीं बोलना है. उन्होंने कहा कि जब तक पार्टी का अधिकृत बयान ना हो, यह सब कुछ कयास ही है. वहीं राज्यसभा को लेकर नीतीश कुमार की इच्छा पर मंत्री ने कहा कि यह सब कुछ हवा में चर्चा में है. अभी इस पर टिप्पणी करना मेरे जैसे नेता के लिए ठीक नहीं है.
बीजेपी और जेडीयू में मतभेद: बीजेपी नेताओं की तरफ से दबाव बनाने की रणनीति पहले से शुरू है. जातीय जनगणना से लेकर जनसंख्या नियंत्रण कानून और विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर भी बीजेपी के तेवर तल्ख रहे हैं. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह विशेष राज्य के दर्जे को लेकर सोशल मीडिया से अभियान चला रहे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बिहार पर ध्यान देने की गुहार लगा रहे थे. वहीं उपेंद्र कुशवाहा भी सम्राट अशोक को लेकर अभियान चला रहे थे और प्रधानमंत्री को भी टैग कर रहे थे. उस समय बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए चेतावनी तक दे दी थी कि कहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कुर्सी ना खिसक जाए, क्योंकि 74 विधायक चुप नहीं रहेंगे.