पटना: बिहार के उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी (Urdu, Bangla STET Candidates of Bihar) अब आंदोलन के मूड में है. अभ्यर्थियों की मांग है कि शिक्षा विभाग (Education Department) के निर्देशानुसार बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (Bihar School Examination Committee) अविलंब संशोधित रिजल्ट जारी करे. उर्दू, बांग्ला एसटीईटी अभ्यर्थी संघ के अध्यक्ष मुफ्ती हसन रजा ने कहा कि सरकार उर्दू, एसटीईटी अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव कर रही है.
ये भी पढ़ें-मैट्रिक सेकंड टॉपर प्रियंका कुमारी को किया गया सम्मानित, 1500 रुपये प्रत्येक महीने देने की घोषणा
दरअसल,साल 2013 में उर्दू, बांग्ला एसटीईटी की परीक्षा आयोजित की गई थी. प्रदेश के चार लाख अभ्यर्थी एग्जाम में शामिल हुए. साल 2014 में इसका रिजल्ट प्रकाशित हुआ लेकिन परीक्षा परिणाम सवालों के घेरे में आ गया क्योंकि परीक्षा में कई प्रश्न गलत पूछे गए थे. इसके बाद विवाद शुरू हुआ. 2014 में ही बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने दूसरा संशोधित रिजल्ट जारी किया जिसमें 26000 अभ्यर्थी पास हुए.
ये भी पढ़ें-आरा के अभिषेक ने बनायी टॉप 5 में जगह, बनना चाहते हैं आईएएस
सभी अभ्यर्थियों को पास सर्टिफिकेट मिला और पंचायत प्रखंड और जिला स्तर पर उन लोगों के नियोजन के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई.
इसके बाद साल 2015 में बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने तीसरा संशोधित रिजल्ट निकाला जिसमें 26000 पास अभ्यर्थियों में 12,000 फेल कर दिए गए जिसके बाद से पूरा बवाल शुरू हो गया. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति का उस समय तर्क था कि गलत प्रश्नों के अंक हटा करके बाकी बचे अंकों में मार्किंग की प्रक्रिया की गई है.
इसके बाद जो 12000 अभ्यर्थी तीसरे संशोधित रिजल्ट में फेल किए गए वह इस बात को लेकर आंदोलन शुरू कर दिए कि जब एक बार उन्हें पास होने का सर्टिफिकेट मिल गया और पंचायत, प्रखंड से लेकर जिला स्तर तक स्कूलों में नियोजन के लिए आवेदन करा लिया गया फिर उसके बाद उन्हें फेल घोषित करने का शिक्षा विभाग का औचित्य क्या है.