पटना:राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के परिवार में तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) का रंग सबसे निराला है. वह जो कुछ भी करते हैं, वह अलग रूप ले लेता है. चाहे बड़े बाल या जटा रखने, शंख बजाने, भगवान शंकर जैसा भेष बनाने की बात हो या मथुरा में जाकर भगवान कृष्ण का रूप धरने की बात हो, तेज प्रताप जो भी करते हैं, दिल से करते हैं. तेज प्रताप के दिल में उनके पिता की हर आवाज बैठती है. यह सिर्फ कहने की बात नहीं है, तेज प्रताप इसे करके भी दिखाते हैं. अपने पिता की बातों काे काफी गंभीरता लेते हैं.
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राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के 25 वें स्थापना दिवस (25th Foundation Day of Rashtriya Janata Dal) पर लालू यादव जब कार्यक्रम को संबोधित करने आये तो उन्होंने सबका अभिनंदन किया. जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) को भाई बताया, छोटे बेटे तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के लिए कसीदे कढ़े. उन्होंने कहा कि मेरे छोटे बेटे ने पूरी पार्टी संभाल ली है, लेकिन इसके बाद लालू यादव ने जो बातें कहीं, उसे अक्षरशः अमलीजामा पहनाया तो वह हैं तेज प्रताप. लालू यादव ने कहा था कि मेरे छोटे बेटे ने पूरी पार्टी संभाल ली और मुझे खुशी है कि मेरे बड़े बेटे को बोलना आ गया.
अब तेजप्रताप अपने पिता की बातों को कैसे टाल देते. इसलिए उन्होंने बोलना शुरू कर दिया. तेज प्रताप ने जब बोलना शुरू किया तो पूरी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की नींव ही हिल गई. तेज प्रताप ने लालू यादव की बातों को कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया है. यही वजह है कि राष्ट्रीय जनता दल की पटना वाली सियासत अब दिल्ली पहुंच गई है.
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तेज प्रताप यादव जगदानंद सिंह को लेकर कभी बहुत सहज नहीं रहे. कई बार सार्वजनिक मंचों से इस बात को कह चुके हैं कि हम कुछ भी बोलते हैं तो हमारे चाचा नाराज हो जाते हैं. चाचा से उनका आशय जगदानंद सिंह से था. लेकिन नाराजगी की वजह क्या है, इसे तेज प्रताप अपने तरीके से समझा भी देते हैं. वे कहते भी थे कि मैं तो यह करूंगा क्योंकि यही पार्टी के हित में है. पार्टी मेरे पिताजी ने बनाई है और पिताजी मेरे भगवान हैं. तो ऐसे में पिताजी द्वारा बनाई गई परिपाटी को मैं टूटने नहीं दूंगा. अब उसी परिपाटी ने आज पार्टी को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा किया है जहां से घर और पार्टी को संभालना मुश्किल होता जा रहा है.
तेज प्रताप यादव के लिए कहा जाता है कि वे बहुत बेबाकी से चीजों को सामने रख देते हैं. लेकिन सियासत में बहुत बेबाकी से चीजों को रखना भी खतरनाक हो जाता है. चाहे पोस्टर लगवाने और हटाने काे लेकर विवाद हो या जगदानंद सिंह पर की गई टिप्पणी और उसके बाद जगदानंद सिंह द्वारा की गई कार्रवाई. उक्त घटनाएं इसे साबित करने के लिए काफी हैं कि बेबाकी से चीजों को रखना भी खतरनाक हो जाता है.
इस प्रकार की घटनाएं साफ बता रही हैं कि राष्ट्रीय जनता दल में सब कुछ ठीक नहीं है. अगर सब कुछ ठीक होता तो राष्ट्रीय जनता दल का यह स्वरूप दिल्ली नहीं पहुंचता. अब एक चीज तो तय है कि दिल्ली तक जो कुछ पहुंचा है, वह तेज प्रताप के बोलने के नाते ही हुआ है. तेज प्रताप के पिता ने कह दिया कि मेरे बेटे को बोलना आ गया है. तेज प्रताप के बोलने की परिपाटी में कौन सी चीजें सियासी तोल-मोल में छूट गईं, यह तो लालू यादव समझेंगे और तेज प्रताप को समझाएंगे भी. लेकिन एक बात तो साफ है कि लालू ने कहा कि मेरे बेटे को बोलना आ गया और तेज प्रताप ने बोलना भी शुरू कर दिए. अब देखना यह होगा कि तेज प्रताप क्या बोलें, इसे तय करने के लिए लालू यादव क्या करते हैं.
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