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मंत्रिमंडल विस्तार से पहले 'लव-कुश' की मुलाकात, बिहार की सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है?

माना जा रहा है कि रालोसपा के प्रमुख और नीतीश कुमार की मुलाकात से राज्य में एक नई राजनीति समीकरण के उदय होने की संभावना बढ़ी है.

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Published : Feb 2, 2021, 10:31 AM IST

पटना: विधानसभा चुनाव के बाद जेडीयू लगातार अपने कुनबे को बड़ा करने और संगठन को मजबूत करने को लेकर प्रयासरत है. इस बीच, रालोसपा प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है.

बिहार में मंत्रिमंडल विस्तारके पूर्व हुए इस मुलाकात को लेकर तो चर्चा यहां तक की जा रही है कि रालोसपा का जदयू में विलय हो जाएगा. दोनों दलों के नेताओं के बयान भी इस चर्चा से इनकार करते नजर नहीं आ आ रहे हैं. ऐसे में इस चर्चा को बल मिला है.

''उपेंद्र कुशवाहा अगर जदयू में आते हैं तो उनका स्वागत है. नीतीश कुमार और कुशवाहा पहले से ही मित्र हैं. पहले भी हमलोग एक साथ काम कर चुके हैं. वे कभी भी हमसे दूर नहीं हुए हैं. बिहार की राजनीति के लिए भी यह अच्छा होगा.''-वशिष्ठ नारायण सिंह, जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष

दरअसल, कुशवाहा रविवार की रात मुख्यमंत्री आवास पहुंचे और नीतीश कुमार से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच करीब एक घंटे तक की बात हुई. विधानसभा चुनाव के बाद दोनों नेताओं के बीच यह दूसरी लंबी मुलाकात थी. पहली मुलाकात के बाद ही इस बात के कयास लगाए जाने लगे थे कि कुशवाहा अब नीतीश कुमार के साथ राजनीति करने की ओर बढ़ेंगे. लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी.

इधर, कुशवाहा भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद उन्हें बड़ा भाई बता रहे हैं. अलग बात है कि चुनाव के दौरान कुशवाहा के निशाने पर नीतीश कुमार ही रहे थे. कुशवाहा ने नीतीश के साथ मिलने के बाद रविवार को कहा कि नीतीश पहले भी बड़े भाई थे और आज भी हैं.

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कुशवाहा भले ही रालोसपा के जदयू में विलय को टाल गए लेकिन इतना जरूर कह दिया, मैं और नीतीश कुमार कभी अलग नहीं थे. नीतीश से मेरे व्यक्तिगत संबंध हैं.

बता दें कि पिछले साल विधानसभा चुनाव में जदयू राज्य में तीसरी तथा राजग में भाजपा के बाद संख्या बल के हिसाब से दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है. इसके बाद जदयू के रणनीतिकारों ने संगठन में आमूलचूल परिवर्तन का निर्णय लिया.

नीतीश कुमार ने भी पार्टी में शीर्ष की जिम्मेदारी छोड़कर आरसीपी सिंह को अध्यक्ष बना दिया. इसके बाद से ही कई परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं. राज्य में एक मात्र बहुजन समाज पार्टी के विधायक जदयू का दामन थाम चुके हैं.

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