पटना:बिहार में बेरोजगारी (Unemployment) की दर लगातार बढ़ती जा रही है. केंद्र सरकार (Central Government) के आंकड़े खुद इस बात की तस्दीक कर रहे हैं. पिछले एक साल में लाखों लोगों की नौकरी चली गई. इधर, बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban) को लेकर बैठकें हो रही हैं, लगातार समीक्षा भी हो रही है भले ही उससे कोई नतीजा ना निकले. लेकिन, विपक्ष और बेरोजगार युवा यह सवाल पूछ रहे हैं कि मुख्यमंत्री रोजगार (Employment) के लिए समीक्षा बैठक कब करेंगे.
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इस बारे में विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है. आए दिन बिहार की सड़कों पर बेरोजगार प्रदर्शन करते दिखाई देते हैं. राजद के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले जब हमने 10 लाख रोजगार देने की बात कही थी तो मुख्यमंत्री ने इस पर सवाल खड़े किए थे, लेकिन उनके सहयोगी दल बीजेपी ने भी 19 लाख रोजगार देने का दावा कर दिया. अब एक साल में उन्होंने कितना रोजगार दिया यह आंकड़ा उन्हें बताना चाहिए.
''जिस शराबबंदी की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आए दिन समीक्षा करते हैं, उस कानून का हश्र तो सबको मालूम है. बिहार में बेरोजगारी इस कदर है कि युवा अवैध शराब के कारोबार में लिप्त हैं, 150 से 200 रुपए लेकर शराब की बोतलें घर-घर पहुंचाते हैं. बिहार की बदहाली और बेरोजगारी के लिए सीधे-सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोषी है.''-शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता, राजद