पटना: बिहार जैसे राज्यों के लिए बेरोजगारी की समस्या(unemployment problem for bihar) नासूर बनती जा रही है. राज्य में बेरोजगारी दर में लगातार इजाफा (Unemployment at peak in Bihar) हो रहा है. अक्टूबर 2021 में बेरोजगारी दर 13.9% थी जो नवंबर में बढ़कर 14.8% तक पहुंच गई. सितंबर माह में बेरोजगारी दर 10% थी जो 2 माह में बढ़कर 14% के पार हो गई. 2 महीने के अंदर कुल 4.8% का इजाफा दर्ज किया गया.
देश में राष्ट्रीय स्तर पर ग्रेजुएट युवाओं की बेरोजगारी के मामले में बिहार की स्थिति चिंताजनक है. सीएमआईई के आंकड़ों (CMIE data on unemployment) के मुताबिक बिहार में कुल 35.3% ग्रेजुएट युवा बेरोजगार हैं. इसमें 10% संख्या ग्रेजुएट बेरोजगारों की है. बिहार से आगे सिर्फ राजस्थान है जहां 53.4% युवा बेरोजगार हैं. बिहार में 38.84 लाख लोग काम की तलाश कर रहे हैं.
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बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) ने 19 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा किया था. सरकार बनने के बाद नीतीश सरकार की प्रतिबद्धता दिखी और कैबिनेट में 19 लाख लोगों को रोजगार देने का प्रस्ताव पारित किया गया. बिहार विधानमंडल के साल 2021 के बजट सत्र में सरकार की ओर से 20 लाख लोगों को रोजगार देने की बात कही गई थी.
आपको बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान रोजगार चुनावी मुद्दा बना था. एनडीए से पहले राजद की ओर से 10 लाख सरकारी नौकरी देने की बात कही गई थी. इसके जवाब में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से 19 लाख रोजगार देने का वादा किया गया था. आरआरबी एनटीपीसी को लेकर जब बिहार में हंगामा हुआ, तब इस बात का खुलासा हुआ कि फोर्थ ग्रेड की नौकरी के लिए करोड़ से ज्यादा युवाओं ने आवेदन किये थे.