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बुजुर्ग मुस्लिम ने सुनाया गीता का श्लोक, तेजस्वी ने Video शेयर कर कहा- भारत महान

मुस्लिम शख्स के द्वारा सुनाए जा रहे श्रीमद्भागवत गीता का 'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत' श्लोक सोशल मीडिया यूजर्स को काफी पसंद आ रहा है. तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी बुजुर्ग की तारीफ करते हुए शेयर किया है. साथ ही इसे भारत की खूबसूरती बताया है.

Leader of Opposition Tejashwi Yadav
Leader of Opposition Tejashwi Yadav

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Published : Sep 21, 2021, 6:39 PM IST

Updated : Sep 21, 2021, 7:08 PM IST

पटना: श्रीमद्भागवत गीता (Shrimad Bhagwat Geeta) का लोकप्रिय श्लोक 'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत' सुनाता एक बुजुर्ग मुस्लिम का वीडियो इन दिनों तेजी से वायरल हो रहा है. हर कोई इसकी तारीफ कर रहा है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav)ने भी अपने ट्विटर हैंडल से इसे ट्वीट कर कहा कि यही हमारे भारत की खूबसूरती है.

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आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर इस मुस्लिम शख्स की जमकर तारीफ की है. साथ ही कहा कि हमारे देश की यह खूबसूरती है कि हमलोग आपसी भाईचारे और तहजीब के साथ रहते हैं. तभी तो हमारा भारत महान है.

अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो शेयर कर तेजस्वी ने लिखा, 'भारत महान! हमारे देश की इसी खूबसूरती, तहज़ीब, भाईचारे और मोहब्बतों को कुछ नफ़रती ताक़तें समाप्त करना चाहती है लेकिन हम सब ऐसा होने नहीं देंगे. जय हिंद!'

दरअसल, इस वीडियो में एक बुजुर्ग मुस्लिम बीआर चोपड़ा निर्देशित महाभारत में गीतकार महेंद्र कपूर द्वारा गाए गए टाइटल ट्रैक ‘अथ श्री महाभारत कथा’ गाते हुए सुनाई दे रहे हैं. साथ ही बीच में बीच वे शंख भी बजाते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसके अलावा वह गीता का श्लोक ‘यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत’ भी सुनाते हुए दिखाई दे रहे हैं.

आपको बताएं कि 'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत' श्रीमद्भागवत गीता का यह एक लोकप्रिय श्लोक है. महाभारत के युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश उस समय दिया था जब वे अपने- पराए के भेद में उलझ गए थे. तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरूक्षेत्र में यह ज्ञान कराया. श्रीमद्भागवत गीता का यह श्लोक जीवन के सार और सत्य को बताता है. निराशा के घने बादलों के बीच ज्ञान की एक रोशनी की तरह है यह श्लोक. यह श्लोक श्रीमद्भागवत गीता के प्रमुख श्लोकों में से एक है. यह श्लोक श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 4 का श्लोक 7 और 8 है. पूर्ण श्लोक इस प्रकार है...

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।

अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥4-7॥

परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् ।

धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे ॥4-8॥

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इस श्लोक का अर्थ है कि मैं अवतार लेता हूं. मैं प्रकट होता हूं. जब जब धर्म की हानि होती है, तब तब मैं आता हूं. जब जब अधर्म बढ़ता है तब तब मैं साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूं, सज्जन लोगों की रक्षा के लिए मै आता हूं, दुष्टों के विनाश करने के लिए मैं आता हूं, धर्म की स्थापना के लिए में आता हूं और युग युग में जन्म लेता हूं.

Last Updated : Sep 21, 2021, 7:08 PM IST

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