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भाई ये राजनीति है.. तेजस्वी ने पहुंचाया ठेस तो सहनी ने भी किया पलटवार - etv bihar news

बीजेपी द्वारा बोचहां से बेबी कुमारी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद (Bocha by election) मुकेश सहनी ने मोर्चा संभाल लिया है. हालांकि बीच-बीच में उन्हें झटका भी लगा है. अब उन्होंने पलटवार भी किया है. क्या है पूरा मामले पढ़ें आगे...

tejashwi yadav and mukesh sahni
tejashwi yadav and mukesh sahni

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Published : Mar 22, 2022, 8:25 AM IST

पटना : कहते हैं राजनीति में कब कौन सी चाल चलेगा यह बताना मुश्किल है. अब देखिए ना.. जिस मुकेश सहनी का दिल आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव (Lalu Yadav RJD Chief) के लिए धड़क रहा था वो अचानक पलटी मार गया. जिस तेजस्वी यादव को सहनी ढ़ाई साल का मुख्यमंत्री बनाने का ऑफर दिए थे, उसी के विपक्ष में खड़े हो गए हैं. दो-दो हाथ करने को तैयार हो गए हैं. दरअसल इसकी जड़ में बोचहां विधानसभा सीट है.

फ्रेंडली फाइट चाहते हैं सहनी :जी हां बोचहां विधानसभा उपचुनाव काफी 'हॉट' हो गया है. बीजेपी ने बेबी कुमारी को यहां से अपना उम्मीदवार बनाया तो वीआईपी चीफ मुकेश सहनी (Mukesh Sahni VIP Chief) को यह 'सहन' नहीं हुआ. नीतीश कुमार से लेकर ललन सिंह तक शिकायत करने मुकेश सहनी पहुंच गए. दिल्ली भी गए लेकिन बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ बैठक नहीं हुई. पटना लौटे तो सुर बदला हुआ था. बोले थे फ्रेंडली फाइट होगी.

दोनों ने एक-दूसरे को तोड़ा : इसी बीच खबर आने लगी कि दिवंगत मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को आरजेडी अपना उम्मीदवार बनाएगी और वीआईपी उसे समर्थन करेगी. लेकिन शाम ढलते-ढलते बिहार की राजनीति पलट गयी. अमर पासवान आरजेडी का दामन थामे तो मुकेश सहनी ने भी 'लालटेन' में फूट डाल दी. सहनी ने आरजेडी के वरिष्ठ नेता रमई राम को पार्टी में शामिल करा लिया. इसके साथ ही उनकी बेटी डॉ गीता कुमारी (Ramai Ram Daughter Dr Geeta Kumar) को बोचहां सीट से उम्मीदवार भी बना दिया.

किसपर भरोसा जताएगी जनता :अब ऐसे में देखना होगा कि बोचहां की जनता आरजेडी की लालटेन को जलाती है या फिर वीआईपी के नाव पर सवार होती है या फिर बीजेपी के कमल को खिलाती है. पर एक बात तो तय है कि यह सीट बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने जा रही है. एनडीए में मनमुटाव, फिर सहनी का राजद के प्रति प्यार, 'चोट' खाने पर पलटवार यह सबकुछ कुछ दिनों में ही देखने को मिल गया.

सहनी का दांव उल्ट पड़ गया : वैसे इस पटकथा के पीछे मुकेश सहनी ही हैं. अगर गौर से देखा जाए तो बात-बात पर 'धमकी' देने वाले सहनी के लिए दांव उल्टा पड़ गया. रही सही कसर उत्तर प्रदेश के चुनाव ने कर दी. सहनी उत्तर प्रदेश में लोगों को 'नाव' की सवारी करने चले थे. लेकिन अब वो खुद बिहार में 'मजधार' में फंस गए हैं. अब उनकी नैया कैसे पार लगेगी यह देखना वाकई दिलचस्प होगा. क्योंकि बीजेपी वाले किसी भी सूरत में छोड़ने के मूड में दिखाई नहीं पड़ रहे हैं.

बोचहां सीट पर उपचुनाव : मुजफ्फरपुर की बोचहां विधानसभा सीट पर 12 अप्रैल को उपचुनाव होना है. बोचहां विधानसभा सीट पर पहले वीआईपी के ही मुसफिर पासवान विधायक थे. उनके निधन के बाद सीट खाली हुई, जिस पर अब उपचुनाव होना है. सहनी वहां दिवंगत विधायक के बेटे अमर पासवान को चुनाव लड़वाना चाहते थे. मुकेश सहनी की पार्टी में फिलहाल तीन विधायक और एक विधान परिषद (खुद) की सीट है.

विधानसभा में दलगत स्थिति:अगर यह मान भी लिया जाए कि मुकेश सहनी एनडीए का छोड़ देंगे तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार की सरकार गिर जाएगी? फिलहाल 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में एनडीए 127 विधायक हैं. जिनमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 74, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के 45, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) के 4 और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के 3 और एक निर्दलीय विधायक हैं. वहीं, महागठबंधन का आंकड़ा 110 है. जिनमें आरजेडी के 75, कांग्रेस के 19 और वाम दलों के 16 विधायक हैं. इसके अलावे एआईएमआईएम (AIMIM) के 5 विधायक हैं. एक सीट (बोचहां) खाली है, जो वीआईपी विधायक मुसाफिर पासवान के निधन से खाली हुई है. इसी सीट पर उपचुनाव हो रहा है. अब ऐसे में अगर मुकेश सहनी समर्थन वापस ले लेते हैं तो भी नीतीश कुमार की सरकार की सेहत पर असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वीआईपी के 3 विधायक हटने के बाद भी नीतीश कुमार की सरकार को 124 विधायकों का समर्थन हासिल होगा. जो कि बहुमत से अधिक है. हालांकि सहनी अगर एनडीए से अलग होते हैं तो उनके विधायक बगावत कर देंगे, ये तय माना जा रहा है.

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