पटना:मोहम्मद शहाबुद्दीन, बिहार के लिए नाम ही काफी था. कहा जाता था कि बिहार के किसी भी कोना में उसका नाम ले लिया जाए, तो लोग हिल जाते थे. उसके खौफ से पूरा बिहार कांपता था. उस बाहुबली को मौत के बाद उसे उसके गांव की जमीन तक नसीब नहीं हुई.
मोहम्मद शहाबुद्दीन ( फाइल ) दरअसल, आरजेडी नेता और पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन का दिल्ली के आईटीओ स्थित कब्रिस्तान में सोमवार को सुपुर्द-ए-खाक किया गया. इस मौके पर शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब समेत परिवार कुछ सदस्य मौजूद रहे.
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गौरतलब है कि सीवान के पूर्व सांसद का शनिवार को डीडीयू अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया था. इसके बाद सोमवार को उसेके शव का पोस्टमॉर्टम किया गया, इसके बाद फिर आईटीओ स्थित कब्रिस्तान में दफना दिया गया.
मोहम्मद शहाबुद्दीन ( फाइल ) गांव में दफनाने की होती रही मांग
इससे पहले शहाबुद्दीन समर्थक और परिवार के लोग उनके पैतृक गांव सीवान में उनको दफनाने की मांग करते रहे. इसके बाद इसकी मांग सियासी दलों की ओर से भी की गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. कहा जा रहा है कि लालू परिवार ने भी शहाबुद्दीन के बिहार में सुपुर्द ए खाक को लेकर लगातार कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी.
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उठा सवाल तो सामने आए तेजस्वी यादव
सोशल मीडिया पर पर इस मामले को लेकर तेजस्वी यादव के रवैये पर पूर्व सांसद के कुछ समर्थकों ने सवाल भी खड़े कर दिए. लानत-मलामत के बाद तेजस्वी यादव ने चुप्पी तोड़ी. इसके बाद उन्होंने कई ट्वीट कर सरकार के रवैये पर सवाल खड़े किए.
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तेजस्वी ने क्या लिखा
तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर लिखा कि 'हम ईश्वर से मरहूम शहाबुद्दीन साहब की मग़फ़िरत की दुआ करते हैं और प्रार्थना करते हैं कि उन्हें जन्नत में आला मक़ाम मिले. उनका निधन पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति है. राजद उनके परिवार वालों के साथ हर मोड़ पर खड़ी रही है और आगे भी रहेगी.'
'इलाज के सारे इंतजामात से लेकर मय्यत को घरवालों की मर्जी के मुताबिक उनके आबाई वतन सिवान में सुपुर्द-ए-खाक करने के लिए मैंने और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने स्वयं तमाम कोशिशें की, परिजनों के सम्पर्क में रहें लेकिन सरकार ने हठधर्मिता अपनाते हुए टाल-मटोल कर आखिरकार इजाजत नहीं दिया.'- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष