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यूपी विधानसभा चुनाव 2022ः जदयू का बीजेपी के साथ गठबंधन पर सस्पेंस

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में जदयू और बीजेपी के बीच सस्पेंस जारी है. सूत्रों के अनुसार जदयू ने अपने 27 उम्मीदवारों की सूची भाजपा को सौंप दी है, हालांकि जदयू को भगवा पार्टी की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. बिहार की सीमा से सटे पूर्वांचल की सीटों को लेकर दोनों पार्टियों में तनातनी सामने आई है. बिहार की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश की 60 से 70 सीटों पर जदयू की नजर है.

यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी जेडीयू के गठबंधन पर सस्पेंस
यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी जेडीयू के गठबंधन पर सस्पेंस

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Published : Dec 10, 2021, 7:46 PM IST

पटनाः अगले साल 2022 में होनेवाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) पर जेडीयू और बीजेपी के बीच गठबंधन को लेकर सस्पेंस (Suspence in JDU BJP Alliance in UP Elections) बना हुआ है. उत्तर प्रदेश चुनाव में बहुत ज्यादा समय नहीं रह गया है. ऐसे में जदयू ने उत्तर प्रदेश के उन विधानसभा क्षेत्रों की सूची तैयार कर ली है, जहां पार्टी चुनाव लड़ेगी. सूत्र बता रहे हैं कि सूची बीजेपी के शीर्ष नेताओं को सौंपी गई है. जदयू की नजर उत्तर प्रदेश के बिहार से सटे पूर्वांचल के 65 से अधिक सीटों पर है. साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ सीटों पर भी है.

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पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह लगातार बीजेपी के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं. लेकिन अभी तक बीजेपी की तरफ से कुछ भी क्लियर नहीं किया गया है. उत्तर प्रदेश चुनाव को लेकर जदयू ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ही ऐलान किया था कि बीजेपी के साथ गठबंधन हो जाए तो अच्छा है. अगर गठबंधन नहीं होता है तो भी चुनाव लड़ेंगे. नीतीश कुमार ने अपने सबसे नजदीकियों में से एक आरसीपी सिंह को बीजेपी के साथ तालमेल करने की जिम्मेदारी सौंपी है.

यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी जडीयू के गठबंधन पर सस्पेंस बरकरार

जदयू यूपी की टीम ने पहले विधानसभा क्षेत्रों की सूची तैयार की और उसे पार्टी के शीर्ष नेताओं को सौंपा दिया. जदयू यूपी की ओर से दी गई सूची में से ही बीजेपी को सूची सौंपी गई है. लेकिन उत्तर प्रदेश चुनाव में बहुत ज्यादा अब समय नहीं रह गया है. ऐसे में जेडीयू और बीजेपी के बीच गठबंधन होगा कि नहीं सस्पेंस बना हुआ है. जदयू नेताओं को ऐसे उम्मीद जरूर है कि बीजेपी के साथ गठबंधन हो जाएगा.

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा का कहना है कि 'यूपी चुनाव में हमलोग जरूर लड़ेंगे. पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लगा हुआ है और बीजेपी के साथ तालमेल होगा. बात आगे बढ़ी है.'वहीं भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि 'पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लगातार बातचीत कर रहा है. जैसे ही कुछ फैसला होगा जानकारी दी जाएगी.'

'जदयू का यूपी में बहुत जनाधार नहीं है. वहां योगी जी के नेतृत्व में फिर से बीजेपी की सरकार बनेगी. यह तय है. यदि नीतीश कुमार जाते हैं तो उसका लाभ जरूर मिलेगा.'-ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, बीजेपी विधायक

जदयू यूपी के महासचिव भरत पटेल लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं. पिछले दिनों आरसीपी सिंह और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से भी मुलाकात की थी. भरत पटेल का कहना है कि 'नीतीश कुमार जो काम बिहार में कर रहे हैं उसकी चर्चा है. हम लोग 22 सीट की दावेदारी कर रहे हैं.'

जानकारी दें कि उत्तर प्रदेश में लगातार समीकरण भी बदल रहे हैं. पिछले दिनों राजद का सपा के साथ गठबंधन हुआ है. कांग्रेस और उत्तर प्रदेश की प्रमुख दलों की ओर से लुभावने वादे भी हो रहे हैं. ऐसे में बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश के बिहार से सटे विधानसभा में नीतीश कुमार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. उत्तर प्रदेश में कुर्मी वोट बैंक 7% से ज्यादा है. जदयू की नजर इसी वोट बैंक पर है.

आरसीपी सिंह यूपी कैडर के अधिकारी रहे हैं. इसलिए पार्टी ने उनको इस मुहिम में लगाया है. हाल ही में जदयू यूपी के प्रभारी केसी त्यागी के बेटे बीजेपी में भी शामिल हुए हैं. जदयू के जनाधार नहीं होने के बावजूद दोनों दलों के नेताओं को उम्मीद है कि कुछ सीटों पर समझौता हो जाएगा. लेकिन जदयू के लिए मुश्किल इसलिए भी अधिक है, क्योंकि जब तक सीटों पर कुछ फैसला नहीं हो जाता पार्टी उम्मीदवार के चयन से लेकर चुनाव प्रचार पर फैसला नहीं कर पा रही है. इधर बीजेपी के नेता भी खुलकर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं.

उत्तर प्रदेश में 2017 में विधानसभा चुनाव में जदयू ने पूरी तैयारी के बाद भी चुनाव नहीं लड़ा था. लेकिन इस बार बीजेपी से तालमेल नहीं होने पर भी चुनाव जरूर लड़ेगी. पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इसका फैसला ले लिया है. बीजेपी के साथ इससे पहले दिल्ली में जदयू का गठबंधन हुआ था, ऐसे तो केवल 2 सीट मिली थी. दोनों सीट पर जदयू चुनाव हार गयी थी. उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी बहुत ज्यादा सीट देगी, इसकी उम्मीद कम है. लेकिन जदयू की तरफ से पूरी कोशिश है कि पूर्वांचल में यदि कुछ सीटों पर समझौता हो जाता है तो वहां पार्टी का खाता खुल सकता है. ऐसे में देखना है बीजेपी के साथ जदयू की कब तक सहमति बन पाती है.

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