नयी दिल्ली/पटना : देश के सर्वोच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालयों में कुलपति की नियुक्ति (Supreme Court Decision) के लिए बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कुलपति बनने के इच्छुक पद के उम्मीदवारों को प्रोफेसर के रूप में शिक्षण का कम-से-कम 10 साल अनुभव होना जरूरी है. एससी का यह फैसला पूरे बिहार सहित देश के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति के संदर्भ में नजीर के रूप में मान्य होगा.
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बिहार में कैसे होती है नियुक्ति : इसके साथ ही प्रोफेसर के पास रिसर्च प्रोजेक्ट का अनुभव या पीएचडी कराने का अनुभव अथवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेपर प्रकाशन की योग्यता भी होनी चाहिए. बात अगर बिहार की हो तो यूजीसी के मापदंडों के अलावा सुप्रीम कोर्ट का 2013 का फैसला और पटना हाइकोर्ट की एकल खंडपीठ के एक फैसले के आधार पर कुलाधिपति की तरफ से कुलपति का चयन किया जाता है. कुलाधिपति, कुलपति की नियुक्ति का निर्णय मुख्यमंत्री से सक्रिय विमर्श के बाद ही लेंगे.
सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति का मामला :दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने शिरीष आर कुलकर्णी की गुजरात के सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्ति को इस आधार पर रद्द कर दिया कि उन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के इन नियमों के विपरीत कुलपति बनाया गया था. उम्मीदवार को प्रोफेसर के रूप में शिक्षण का 10 साल का अनुभव होना चाहिए. अदालत ने संबंधित विषय को यूजीसी के मानदंडों के बराबर लाने के लिए कानून में संशोधन नहीं करने में राज्य की निष्क्रियता पर अफसोस जताया.
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की एक पीठ ने कहा कि ''नैतिकता की भावना उस नेता के दरवाजे से शुरू होनी चाहिए जो इसका प्रचार करता है.'' इसने आशा व्यक्त की कि राज्य सरकार यूजीसी विनियमों की तर्ज पर राज्य के कानून में तदनुसार संशोधन करेगी जिसकी सिफारिश 2014 में की गई थी. न्यायालय ने कहा कि कुलकर्णी की सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में नियुक्ति यूजीसी के प्रावधानों अर्थात् यूजीसी विनियम, 2018 के विपरीत है.
पीठ ने 58 पृष्ठ के फैसले में कहा कि इसलिए वर्तमान रिट याचिका को अनुमति दी जाती है और सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में कुलकर्णी की नियुक्ति को रद्द किया जाता है. न्यायालय ने जीके गढ़वी की याचिका को स्वीकार करते हुए फैसले में यूजीसी के नियमों और गुजरात उच्च न्यायालय की टिप्पणियों तथा राज्यपाल के संचार का उल्लेख किया और राज्य सरकार से नियुक्ति का मानक सुनिश्चित करने के लिए राज्य के कानून में संशोधन करने को कहा ताकि इसे यूजीसी के नियमों के अनुरूप बनाया जा सके.
कुलकर्णी की नियुक्ति यूजीसी के नियमों के विपरीत होने के साथ ही उन्हें उस खोज समिति द्वारा नियुक्त किया गया था, जिसका गठन मानदंडों के अनुसार नहीं किया गया था. न्यायालय ने कहा कि इसके अलावा कुलकर्णी यूजीसी विनियम, 2018 के अनुसार विश्वविद्यालय प्रणाली में प्रोफेसर के रूप में दस साल के शिक्षण अनुभव का पात्रता मानदंड पूरा नहीं करते हैं.