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हुनरमंद बच्चों को निखारने में लगा है ये फुटबॉल प्लेयर, सिस्टम से नहीं मिल पा रही मदद

सुमित मसौढी में गली-गली घूमकर वैसे बच्चों को इकट्ठा करते हैं, जो लावारिश हैं या जो गैराज या दुकान में काम करते हैं. उनको रोजाना सुबह-शाम एक घंटा फ्री में फुटबॉल सिखाते हैं.

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Published : Oct 2, 2020, 9:29 PM IST

पटनाःफुटबॉल प्रतियोगिताओं में अपनी अलग पहचान बनाने वाले सुमित सिस्टम की मार झेल रहे हैं. 4 बार राज्य स्तरीय फुटबॉल प्रतियोगिता और 3 बार राष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल प्रतियोगिता में जीतकर उन्होंने अपनी पहचान बनाई. लेकिन हाल के दिनों में सुमित को सिस्टम से कोई मदद नहीं मिल पाई.

नतीजतन सभी चीजों को छोड़कर सुमित इन दिनों मसौढ़ी पहुंचे हैं और यहां छोटे-छोटे बच्चों के अंदर फुटबॉल का हुनर भर रहे हैं. सुमित ने बताया कि जब शुरू में मसौढ़ी आया तो रेलवे स्टेशन और गांधी मैदान में रात गुजारता था और दिन भर इधर-उधर घूमा करता था. फिर कुछ लोगों ने मदद की और रहने के लिए जगह दिया और आज मसौढी के बच्चे में फुटबॉल के हुनर को निखार रहे हैं. उनका कहना है कि शायद ये बच्चे वो कर पाएं, जो मुकाम मैं हासिल नहीं कर सका.

देखें पूरी रिपोर्ट

फुटबॉल खिलाड़ी सुमित मूल रूप से बिहार के खगड़िया के रहने वाले हैं और अनाथ हैं. अनाथालय से पढ़ाई-लिखाई हुई और बाद में किसी दंपति ने गोद लिया. लेकिन बाद में सुमित वो घर भी छोड़कर निकल आए और घूमते फिरते मसौढी आ गए. जहां इन दिनों मसौढी गांधी मैदान में रोजाना सुबह और शाम बच्चों के बीच फुटबॉल सिखा रहे हैं.

सुमित मसौढी में गली-गली घूमकर वैसे बच्चों को इकट्ठा करते हैं, जो लावारिश हैं या जो गैराज या दुकान में काम करते हैं. उनको रोजाना सुबह-शाम एक घंटा फ्री में फुटबॉल सिखाते हैं.

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