पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में वैसे तो सीएम कैंडिडेट कई हैं लेकिन सीधी लड़ाई नीतीश और तेजस्वी के बीच ही हो रही है. यही कारण है कि हर चुनावी रैली में नीतीश कुमार लालू-राबड़ी पर सबसे ज्यादा हमला कर रहे हैं. नीतीश कुमार 1990 से 2005 यानी 15 साल के आरजेडी के कामकाज को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.
वहीं, दूसरी ओर तेजस्वी यादव भी नीतीश कुमार पर ज्यादा हमलावर हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में तेजस्वी पीएम मोदी के कामकाज पर सवाल खड़े करने के बजाय वो नीतीश कुमार को टारगेट पर ले रहे हैं और सवाल पर सवाल दाग रहे हैं. ऐसे में समझा जा रहा है कि बिहार की सियासी लड़ाई नीतीश बनाम तेजस्वी हो गई है.
तेजस्वी के टारगेट पर नीतीश ही क्यों?
दरअसल, तेजस्वी यादव स्ट्रेटजी के तहत सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार को टारगेट कर रहे हैं. सियासी पंडितों का कहना है कि महागठबंधन किसी भी कीमत पर बिहार चुनाव को नीतीश बनाम तेजस्वी से बाहर नहीं जाने देना चाहता है. यही कारण है कि अब तक तेजस्वी यादव ने एक बार भी पीएम मोदी पर सीधा हमला नहीं बोला है. तेजस्वी चुनावी रैली में बीजेपी का नाम लेकर हमला जरूर कर रहे हैं लेकिन पीएम मोदी का नाम लेने से बच रहे हैं.
सियासी पंडितों के अनुसार, 2019 झारखंड विधानसभा चुनाव में भी हेमन्त सोरेन, दिल्ली चुनाव के दौरान अरविन्द केजरीवाल ने भी इसी स्ट्रेटजी के तहत चुनाव प्रचार किया था. जिसका उन्हें लाभ भी मिला था. शायद उसी स्ट्रेटजी के तहत तेजस्वी यादव नीतीश कुमार और बीजेपी के स्थानीय नेताओं पर हमला बोल रहे हैं. यही नहीं, तेजस्वी यादव चुनावी रैली में स्थानीय मुद्दों को ही तरजीह दे रहे हैं. आरजेडी की कोशिश है कि बिहार चुनाव को तेजस्वी बनाम नीतीश कुमार बनाया जाए.
रणनीति के तहत सीटों का बंटवारा
आरजेडी नीत महागठबंधन में सीटों का बंटवारा रणनीति के तहत ही हुआ है. दरअसल, आरजेडी बिहार में 144 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिनमें से 77 सीटों पर जेडीयू और 51 सीटों पर बीजेपी से उसका मुकाबला है. जबकि 70 सीटों पर कांग्रेस और 29 सीटों पर वामपंथी दल मैदान में हैं. वहीं, एनडीए में सीट शेयरिंग की बात की जाए तो बीजेपी 110 और जेडीयू 115 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जबकि 7 सीटों पर जीतनराम मांझी की हम और 11 सीटों पर मुकेश सहनी की वीआईपी के उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं.
बीजेपी को 110 सीटों में से 51 सीटों पर आरजेडी से दो-दो हाथ करना है जबकि बाकी 59 सीटों पर कांग्रेस और वामपंथी दलों से उसका मुकाबला है. वहीं, जेडीयू के 77 प्रत्याशियों के खिलाफ आरजेडी के उम्मीदवार मैदान में हैं. बाकी की 38 सीटों पर जेडीयू को कांग्रेस और वामपंथी दलों से मुकाबला करना है. इस समीकरण के अनुसार भी जेडीयू को आरजेडी से सबसे अधिक चुनौती मिल रही है.