पूरे देश में बिहार की लोकप्रियता का अपना एक अलग ही कारण है. यहां के खान-पान से लेकर शादी विवाह तक सभी में बिहारी संस्कृति की जो चमक झलकती है, वही सभी में इसे खास बनाती है.
महापर्व छठ
आस्था का महापर्व छठ... बिहार का सबसे बड़ा पर्व है. सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व बिना किसी भेदभाव के मनाया जाता है. छठव्रती इस दिन भगवान सूर्य की उपासना करते हैं. यह कुल चार दिनों तक चलता है. इस पर्व में छठव्रतियों को पवित्र स्नान, निर्जला उपवास रख कर लंबे समय तक पानी में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देना होता है.
धान रोपाई
बिहार में धान की रोपनी एक पर्व के तरह मनाई जाती है. लोग अपनी खेतों में गीत गाकर धान की रोपाई करते हैं. ये समय अद्रा कहलाता है. इस दिन सभी घरों में खीर-पूड़ी और अन्य कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं. घर की औरतें पुरूषों के साथ मिलकर पूरे विधि-विधान से धान की रोपाई करते हैं.
मधूश्रावणी
मिथिलांचल की परंपरा से जुड़ी मधुश्रावणी पूजा का अपना विशेष महत्व है. विवाह के बाद पहले सावन में इस पूजा को किया जाता है, जो 13 दिनों तक चलती है. पूजा शुरू होने से पहले दिन नाग-नागिन व उनके पांच बच्चे (बिसहारा) को मिंट्टी से गढ़ा जाता है. साथ ही हल्दी से गौरी बनाने की परंपरा है.
इस पूजा में 13 दिनों तक हर सुबह नवविवाहिताएं फूल और शाम में पत्ते तोड़ने जाती हैं. सुहागिनें फूल-पत्ते तोड़ते समय और कथा सुनते वक्त एक ही साड़ी हर दिन पहनती हैं. पूजा स्थल पर रंगोली बनायी जाती है. फिर नाग-नागिन, बिसहारा पर फूल-पत्ते चढ़ाकर पूजा शुरू होती है.