पटना:बिहार में महागठबंधन की सरकार के बनने बाद आज से दो दिवसीय विधानमंडल का सत्र (Special Session of Bihar Legislature) प्रारंभ हो रहा है. इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को साफ कर दिया कि वे अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे, उन्होंने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव का जो नोटिस सभा सचिवालय को दिया गया है, उसमें संवैधानिक नियमों और प्रावधानों की अनदेखी की गयी है,
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बिहार विधानसभा अध्यक्ष का इस्तीफा देने से इनकार :बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Speaker Vijay Kumar Sinha) ने कहा कि सरकार का काम पहले होगा, यही नियम है और यही परंपरा है, सरकारी कार्य के बाद अन्य कार्य लिए जाएंगें, उन्होंने साफ तौर पर कह दिया कि वे इस्तीफा नहीं देंगे, उन्होंने कहा कि सदन की बात सदन में करेंगे, ऐसी स्थिति में साफ है कि सत्र हंगामेदार होगा.
''अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस जो सभा सचिवालय से प्राप्त हुआ है वह नियम, प्रवधान की स्पष्ट अनदेखी की गई है और संसदीय शिष्टाचार का भी पालन नहीं किया गया है, इस कारण इसे अस्वीकृत कर दिया गया. लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ व्यवस्था नहीं है, विगत दिनों सत्ता को बचाए रखने के लिए जो कुछ भी हुआ उसपर इस समय कुछ भी कहना उचित नहीं, लेकिन इस क्रम में विधायिका की प्रतिष्ठा पर जो प्रश्न खड़ा किया गया है, उस पर चुप रहना अनुचित है, अध्यक्ष संसदीय नियमों व परंपराओं का संरक्षक है, यह केवल पद नहीं बल्कि एक न्यास का अंगरक्षक है.'' - विजय कुमार सिन्हा, विधानसभा अध्यक्ष
'अविश्वास प्रस्ताव नियम, परंपरा की अनदेखी' :विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि वह बिहार विधानसभा के अध्यक्ष पद के दायित्व से बंधे हुए हैं, उन्होंने कहा कि मेरे लिए व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना है, यह विधानसभा का अध्यक्ष होने के नाते मेरा कर्तव्य भी है. दरअसल, विधानसभा अध्यक्ष के समर्थन में बीजेपी के 76 सदस्य हैं, जबकि सत्ता पक्ष के 164 विधायक उनके खिलाफ एकजुट हैं, इधर, विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने कहा कि अध्यक्ष को नैतिकता का पालन करना चाहिए, उन्होंने कहा कि जिसके विरूद्ध में अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है वह आसन पर नहीं बैठ सकता है, उन्होंने कहा कि सदन अंकों का खेल है. विजय कुमार सिन्हा हमेशा नैतिकता की बात करते हैं लेकिन इस मामले में इस्तीफा नहीं देना दुर्भाग्यपूर्ण है.
वहीं इस मुद्दे पर आरजेडी के राज्यसभा सांसद मनोझ झा ने ट्वीट किया, ''बिहार में विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ 1960/1970 में भी अविश्वास प्रस्ताव आया था. 60 में अध्यक्ष ने शालीनता से स्वयं आसन छोड़ दिया और 70 में प्रस्ताव ही वापस ले लिया गया. वर्तमान अध्यक्ष से उम्मीद है कि श्रेष्ठ संसदीय परम्पराओं के अनुरूप बहुमत के अविश्वास के आलोक में आसान छोड़ दें.''