पटना: पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) ने 2019 के जलजमाव से शिक्षा लेते हुए 2020 से काफी सक्रियता दिखाई थी. नाले की उड़ाई पर पटना नगर निगम की ओर से विशेष जोर दिया गया. निगम ने निर्णय लिया युद्ध स्तर पर तीन बार नालों की बृहद पैमाने पर साफ-सफाई और उड़ाही का काम किया जाएगा जिसमें प्री मॉनसून उड़ाही, मानसून के समय उड़ाही और पोस्ट मानसून उड़ाही शामिल है. 2020 और 2021 में नालों की साफ-सफाई और उड़ाही का काम अच्छे तरीके से किया गया. इसका फायदा भी देखने को मिला और जलजमाव की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई.
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नहीं मिल रहे दैनिक मजदूर: दूसरी तरफ 2022 में प्री मॉनसून नाले की साफ-सफाई और उड़ाही का काम काफी पीछे रह गया है. प्री मॉनसून नाला उड़ाही 1 मार्च से शुरू हुआ और 15 मई तक चलना है. वर्तमान स्थिति यह है कि बड़े नालों की उड़ाही तो मशीन के माध्यम से करा ली गई लेकिन छोटे नालों की उड़ाही अब तक 50 फीसदी भी पूरी नहीं हुई है. अधिकांश वार्डों में 15 से 20 फीसदी ही उड़ाही का काम हुआ है और वजह यह है कि निगम को दैनिक मजदूर नहीं मिल रहे हैं. वार्ड पार्षदों का कहना है कि इस बार नालों की उड़ाई नहीं होने की वजह से यदि 2019 जैसी जलजमाव की स्थिति उत्पन्न होती है तो इसके लिए सीधे तौर पर नगर आयुक्त और नगर निगम के कार्यपालक अभियंता जिम्मेदार होंगे.
सुस्त पड़ गया उड़ाही का काम:पटना के वार्ड 44 की पार्षद माला सिन्हा ने बताया कि नाला उड़ाही अभियान काफी तेज गति से शुरू हुआ था लेकिन चंद दिनों में ही यह सुस्त पड़ गया. इसके पीछे वजह यह है कि बड़े नालों की साफ-सफाई तो मशीन के माध्यम से हो जा रही है लेकिन छोटे नालों की उड़ाही और साफ-सफाई के लिए दैनिक मजदूर नहीं मिल रहे हैं. 3 साल पहले भी दैनिक मजदूरों को 400 रुपये रोजाना मिलते थे और आज भी यही रेट है जबकि घरेलू गैस सिलेंडर, खाद्य तेल, पेट्रोल आदि की कीमतें काफी बढ़ गई हैं. महंगाई काफी बढ़ गई है.
नहीं बढ़ी मजदूरी: ऐसे में मजदूरों का कहना है कि वह दूसरे जगह मजदूरी कर 600 रुपये प्रतिदिन कमा रहे हैं. ऐसे में वह 400 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी पर नहीं करेंगे. माला सिन्हा ने कहा कि निगम के जो अपने मजदूर हैं, उन के माध्यम से साफ-सफाई चल रही है लेकिन जब उड़ाही का अभियान चलता है तब प्रतिदिन 35 से 40 मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है. उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी की समस्या को लेकर वहां कई बार निगम की बैठक में मुद्दा उठा चुकी हैं. कंकड़बाग क्षेत्र के सभी वार्ड पार्षदों इस समस्या से हाल ही में नगर आयुक्त को अवगत कराया था लेकिन इसका निदान अब तक नहीं हुआ है.