पटना :आज से बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन (Ban on Single use Plastic in Bihar) लागू हो गया है. दरअसल, सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल आसानी से नष्ट नहीं होते और यह मानव जीवन के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं. इसी को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. केन्द्र के इस फैसले को पूरे देश में लागू किया गया है. वैसे बिहार में पिछले साल 15 दिसंबर से ही इसे लागू होना था. पर केन्द्र के फैसले को देखते हुए इसे आज से लागू किया गया है.
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100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक प्रतिबंधित :बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल की खरीद बिक्री और भंडारण पर प्रतिबंध लग गया है. कहा जा रहा है कि बैन के बाद कई श्रमिकों की नौकरी जाने वाली है. वर्तमान में राज्य में 28 कारखानों के साथ 200 करोड़ रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार (Impact Of Single Use Plastic Ban ) है. 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक प्रतिबंधित हुए हैं. इनके अलावा थर्माकोल से बने कप प्लेट ग्लास और अन्य कटलरी आइटम भी एक जुलाई से प्रतिबंधित हो गए.
जो प्लास्टिक कंपोस्ट योग्य, उस पर प्रतिबंध नहीं :प्लास्टिक स्टिक वाले ईअर बड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की डंडिया, प्लास्टिक के झंडे, कैंडी स्टिक, आइसक्रीम की डंडियां और थर्माकोल की सजावटी सामग्री और कप प्लेट ग्लास काटे चम्मच चाकू, स्ट्रे, मिठाई के डब्बे और निमंत्रण कार्ड के अलावा सिगरेट पैकेट के आसपास लपेटने वाले प्लास्टिक और 100 माइक्रोन से कम वाले प्लास्टिक या पीवीसी बैनर पर एक जुलाई 2022 से प्रतिबंध लागू हो गया है. जो प्लास्टिक कंपोस्ट योग्य है, उस पर प्रतिबंध लागू नहीं हुआ है.
फैसले के खिलाफ व्यवसायी: सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल पर प्रतिबंध से एक तरफ जहां इस क्षेत्र से जुड़े व्यवसायियों में रोष है, वहीं वह सरकार से अपने लिए अनुदान की मांग कर रहे हैं. उनका यह कहना है कि इस नियम से हमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन हमारा जो इसमें लाखों करोड़ों रुपया लग चुका है, उसकी भरपाई आखिर कैसे की जाएगी?
व्यवसायियों ने मांगी मोहलत: प्लास्टिक थर्मोफॉर्मर्स इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कुमार कहते हैं कि अपने देश में ही इस विषय पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट हो रहा है. जब तक कोई बेहतर नतीजे ना निकल जाए सरकार हमें मोहलत दे. रिसर्च एंड डेवलपमेंट के बाद जैसे ही साल डेढ़ साल के अंदर मटेरियल हमारे पास आ जाएगा. हम सरकार का साथ देने के लिए तैयार रहेंगे. आज अगर सरकार बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था की इस इंडस्ट्री को बंद करती है तो हजारों करोड़ रुपए का नुकसान होगा.
बिहार में 200 करोड़ का सालाना कारोबार:बता दें कि पूरे बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्माकोल का 200 करोड़ का सालाना व्यापार होता है. पूरे बिहार में 28 फैक्ट्रियां हैं जिसमें से चार केवल पटना में ही है. इन फैक्ट्रियों से हर रोज तकरीबन 45 टन प्लास्टिक ग्लास का उत्पादन होता है. सिंगल सिंगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल निर्मित ग्लास चम्मच कांटा प्लेट कटोरी आदि का उपयोग अगली 1 जुलाई से नहीं होगा. सबसे बड़ी बात यह है कि इस फील्ड पूरे बिहार में करीब 3500 से 4000 श्रमिक जुड़े हुए हैं, जिनमें 80% के करीब महिलाएं हैं.
पर्यावरण के हित में फैसला:हालांकि अगर तस्वीर के दूसरे पहलू पर नजर डाली जाए तो प्लास्टिक एक अभिशाप भी बन चुका है. पूरे पटना में प्रतिदिन करीब 100 टन प्लास्टिक कचरे के रूप में निकलता है और अगर पूरे बिहार की बात करें तो सालाना करीब 5845 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है. इन प्लास्टिक के कारण एक तरफ जहां नालियां जाम होती है. वहीं पशु हो या मानव सबकी जान माल की हानि का भी नुकसान बना रहता है.