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संपूर्ण क्रांति दिवस क्या तेजस्वी के लिए बनेगा महागठबंधन में लांचिंग पैड, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट - ईटीवी बिहार

आरजेडी की ओर से संपूर्ण क्रांति दिवस (Sampoorna Kranti Diwas) बड़े पैमाने पर मनाने की तैयारी की गयी है. आरजेडी ने एक रणनीति के तहत इस कार्यक्रम के जरिये विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) को महागठबंधन में लांच करने की योजना बनायी है. आखिर क्या है रणनीति, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Jun 4, 2022, 9:59 PM IST

पटना: गत 31 मई को आरजेडी के राज्य विधानमंडल दल की बैठक हुई. विधायकों, विधान पार्षदों और सांसदों के उत्साह से लबरेज राष्ट्रीय जनता दल 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाएगा. लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर शुरू हुई संपूर्ण क्रांति को सारी दुनिया जानती है. अब इस संपूर्ण क्रांति को मनाने के पहले एक नया विषय वस्तु चर्चा में आ गया है. वह है राजद की तरफ से तेजस्वी यादवको महागठबंधन के समक्ष संपूर्ण क्रांति दिवस पर लांच (Sampoorna Kranti Diwas will be launching pad for Tejashwi) करने की तैयारी.

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लालू ने दी थी स्वीकृति: दरअसल, 31 मई को जब राजद विधानमंडल दल की बैठक हो रही थी, तब राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को पार्टी के सारे नीतिगत फैसले लेने के लिए तेजस्वी यादव को सबके सामने स्वीकृति दी थी. एक तरफ नीतिगत फैसले की बात और दूसरी तरफ राजद की तरफ से संपूर्ण क्रांति दिवस को लेकर पूरे शहर में लगाए गये पोस्टर, जिसमें एक तरफ जेपी दिखाई देते हैं और तो दूसरी तरफ तेजस्वी. अब सवाल यह उठता है कि क्या तेजस्वी को महागठबंधन के नेताओं के सामने लांच करने की तैयारी की जा रही है.

जोर-शोर से तैयारी:संपूर्ण क्रांति दिवस की तैयारी को लेकर राजद अपने स्तर पर कोई भी कमी नहीं छोड़ रहा है. उसकी तैयारी इस तरह की है कि राजद की आवाज दूर-दूर तक सुनाई दे. खुद पार्टी पूरे उत्साह से इस समारोह को आयोजित में लगी हुई है. दावा यहां तक किया जा रहा है कि इसमें राजद के तमाम बड़े नेताओं के अलावा महागठबंधन में शामिल दलों के शीर्ष नेता हिस्सा लेंगे. इनमें सबसे मुख्य बात यह है कि इस तैयारी के केंद्र बिंदु तेजस्वी यादव बने हुए हैं.

हालांकि इस मुद्दे पर राजद की तरफ से कोई भी बड़ा नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है. ऑफ द रिकार्ड बातचीत में राजद के नेता इस बात को स्वीकार करते हैं कि संपूर्ण क्रांति दिवस तेजस्वी यादव के राजनीतिक जीवन का एक बहुत बड़ा मंच बनने जा रहा है. उनका गोल-गोल इशारा भी कुछ इस बात की तस्दीक दे रहा है कि तेजस्वी यादव की लॉन्चिंग महागठबंधन के नेता के रूप में हो सकती है.




आयोजन से कांग्रेस आउट: इसे संपूर्ण क्रांति दिवस के आयोजन का एक और अहम बिंदु यह है कि इससे कांग्रेस आउट है. शुक्रवार को मीडिया से मुखातिब होते हुए तेजस्वी यादव ने इस बात को कहा था कि हम तो अंत-अंत तक फ्रेंडली बने रहे. उनके इस बात का बहुत कुछ मतलब निकल रहा है. अब पोस्टर पर कांग्रेस के किसी नेता की तस्वीर ना होना तेजस्वी यादव की बात को स्थापित कर रहा है कि महागठबंधन में अगर कांग्रेस शामिल भी होगी तो उसकी भूमिका क्या हो सकती है.

'राजद की संस्कृति घटक दलों और उनके नेताओं को अपमानित करने की रही है. पहले भी यह महागठबंधन नहीं था बल्कि महा ठग बंधन था. कांग्रेस पार्टी का क्या हश्र हुआ राष्ट्रीय पार्टी होकर. यह पार्टी राष्ट्रीय जनता दल की पिछलग्गू बनी फिरती थी. अब तेजस्वी यादव महागठबंधन के बैनर तले कार्यक्रम करने जा रहे हैं. सूबे की जनता को यह लोग गलत मैसेज देना चाहते हैं. बिहार की जनता जानती है कि यह कुछ सत्ता के लिए लालायित रहने वाली पार्टियों का महा ठग बंधन था. राज्य की जनता कभी इनकी बातों में नहीं आएगी.-'अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता.

इस मसले पर वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक संजय उपाध्याय कहते हैं कि तेजस्वी यादव को प्रोजेक्ट करने की एक राजनीति राष्ट्रीय जनता दल ने की है. वैसे अब तेजस्वी ऑलरेडी एक स्थापित नेता बन चुके हैं. उनकी स्वीकार्यता भी पार्टी में आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ी है. राजद में तेजस्वी का कोई बहुत बड़ा योगदान नहीं है. अगर योगदान था या फिर अगर योगदान है तो वह लालू प्रसाद यादव का है. लालू प्रसाद यादव जब पटना आए तो संपूर्ण क्रांति दिवस मनाने का ताना-बाना उन्होंने ही बुना था. ताकि इसका मैसेज पूरे राज्य में जाए और इसे लीड करने का काम उन्होंने तेजस्वी के हाथ में सौंपा.

'लालू प्रसाद अब नेपथ्य में राजनीति कर रहे हैं. सक्रिय राजनीति तो तेजस्वी प्रसाद यादव ही कर रहे हैं. इसलिए पोस्टर से लालू प्रसाद यादव का गायब कर देना यह कोई राजनीति नहीं है बल्कि यह एक रणनीति है. यह रणनीति राजद की एक स्ट्रेटजी है. इसलिए कि राजद की बागडोर अब तेजस्वी प्रसाद ने संभाल ली है. यह कोई नई राजनीति या फिर नई बात नहीं है. पोस्टर पर तेजस्वी यादव, जेपी और लोहिया दिख रहे हैं. पिछले चुनाव में पोस्टर पर भी तेजस्वी की ही तस्वीर थी. तेजस्वी को प्रोजेक्ट करने की एक अंदरूनी राजनीति है, रणनीति है.-'संजय उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक प्रेक्षक.

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