बिहार

bihar

ETV Bharat / city

मुजफ्फरपुर बालिका गृह केस: साकेत कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला, सरकारी वकील ने की उम्र कैद की मांग

मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट में दोषियों के खिलाफ सजा सुनाई जाएगी. इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर मुख्य दोषी है. सीबीआई जांच में पाया गया कि बालिका गृह में 7 से 17 साल की उम्र के बीच की 34 लड़कियां थी,  जिनके साथ महीनों यौन शोषण होता रहा.

Muzaffarpur shelter home case
Muzaffarpur shelter home case

By

Published : Feb 4, 2020, 7:39 AM IST

Updated : Feb 4, 2020, 3:30 PM IST

दिल्ली/पटना:बिहार के बहुचर्चित मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड मामले में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब 11 फरवरी को 2 बजे इसका फैसला सुनाया जाएगा. इस मामले में कोर्ट ने मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर समेत 20 आरोपियों को दोषियों करार दिया है. जिन पर कोर्ट को फैसला सुनाना है. इस मामले में सीबीआई ने 21 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. जिसमें 20 लोगों को 11 फरवरी को सजा सुनाई जाएगी.

आरोपियों पर दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज
सीबीआई की ओर से कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में आरोपियों पर दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट की धारा 6 के तहत आरोप लगाए गए हैं. सीबीआई जांच में पाया गया कि बालिका गृह में बच्चियों का यौन शोषण हुआ. इसमें ना सिर्फ बालिका गृह के कर्मचारी बल्कि बिहार सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधिकारी भी शामिल थे.

तीन बार टल चुकी है सुनवाई
इससे पहले 14 नंवबर फिर 12 दिसंबर और फिर 27 जनवरी को फैसले की तारीख तय की गयी थी. लेकिन वकीलों की हड़ताल और विशेष कारणों की वजह से सुनवाई की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया था. मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने 2000 में मुजफ्फरपुर के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र से बिहार पीपुल्स पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था, हालांकि उसे हार का सामना करना पड़ा था.

ये भी पढ़ेंः CM नीतीश को पप्पू ने दी खुली बहस की चुनौती, लालू परिवार को भी कटघरे में किया खड़ा

ब्रजेश ठाकुर है मुख्य आरोपी
इस मामले में बालिका गृह का संचालक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी है. बालिका गृह में 7 से 17 साल की उम्र के बीच की 34 लड़कियां थी, जिनके साथ महीनों से यौन शोषण होता रहा. इस मामले में अन्य आरोपितों के साथ तत्कालीन जिला बाल संरक्षण अधिकारी को भी गिरफ्तार किया गया था.

2018 में सामने आया था यह सनसनीखेज मामला
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की ओर से इस मामले का खुलासा हुआ. 26 मई 2018 को 'टिस' ने बिहार सरकार को ये रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट में किसी आश्रय गृह में पहली बार नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ था.

Last Updated : Feb 4, 2020, 3:30 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details