पटनाः बिहार में आर्थिक अपराध इकाई (economic offenses unit) के ईडी को भेजे प्रस्ताव पर राजद ने केंद्र सरकार के मंसूबों पर सवाल खड़े किये हैं. पार्टी प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय के पास ढेरों मामले लंबित हैं, लेकिन ईडी सिर्फ राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर ही कार्रवाई करती है. अपराधी व शराब माफियाओं पर भी कार्रवाई करने की दरकार है. भाजपा प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा है कि राजद नेता अलग चश्मे से भ्रष्टाचार को देखते हैं. उन्हें यह भी बताना चाहिए कि तेजस्वी यादव ने कम उम्र में इतनी संपत्ति कैसे अर्जित कर ली. जांच एजेंसियां निष्पक्ष होकर काम करती है और जो भी भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होती है.
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'बिहार सरकार द्वारा 100 के ऊपर ईडी जांच के लिए भेजा गया है. ये ईडी विपक्ष को परेशान कर रहा है. जो सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहा है उसके खिलाफ ईडी कार्रवाई कर रहा है. जिसपर वास्तविक ढंग से कार्रवाई होनी चाहिए उसपर कार्रवाई नहीं होती है'- चितरंजन गगन, प्रवक्ता, आरजेडी
लालफीताशाही के कारण हो रही देरीः भ्रष्टाचार बिहार सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. हर रोज निगरानी एक या दो भ्रष्टाचारियों को रंगे हाथ पकड़ती भी है, लेकिन बड़ी संख्या में भ्रष्टाचारी सफेदपोश और शराब माफिया कार्रवाई की जद से बाहर हैं. हालांकि आर्थिक अपराध इकाई ने कार्रवाई के लिए हरी झंडी दे दी है. पूर्व आईपीएस अमिताभ कुमार दास का मानना है कि लालफीताशाही के चलते कार्रवाई में देरी होती है. वरीय स्तर पर फाइल को आगे बढ़ाया जाता है और कई बार विमर्श के लिए फिर नीचे लौटा दिया जाता है. प्रवर्तन निदेशालय के पास देश भर से मामले आते हैं. इस वजह से शायद विलंब हो रही होगी.
भ्रष्टाचार के 150 से ज्यादा मामले लंबितः बिहार जैसे राज्य में भ्रष्टाचार बड़ी चुनौती है. यहां भ्रष्टाचार के 150 से ज्यादा मामले लंबित हैं. भ्रष्टाचार पर प्रभावी नियंत्रण के लिए निगरानी और आर्थिक अपराध इकाई काम कर रही है. बिहार सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए तो निगरानी विभाग सक्षम है, लेकिन इससे अलग अगर कार्रवाई करनी है तो प्रवर्तन निदेशालय की भूमिका अहम होती है. आर्थिक अपराध इकाई प्रीवेंशन ऑफ मनी लाॅन्ड्रिंग एक्ट के तहत गैंगस्टर, भ्रष्टाचार में संलिप्त आरोपी, नक्सली और शराब माफियाओं के खिलाफ लगाम कसने के लिए जांच पूरी कर ली गई है. 2012 से लेकर 2022 के बीच 190 प्रस्ताव प्रवर्तन निदेशालय को कार्रवाई के लिए भेजी गई है. सूची में 25 से 30 शराब माफिया ही हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई अपेक्षित है.