पटनाः आय से 151 गुना अधिक संपत्ति के मामले में निगरानी जांच झेल रहे मोतिहारी के उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश (Vigilance Inquiry Against Excise Superintendent Avinash Prakash) को बेगूसराय को मद्य निषेध अधीक्षक के रूप में तैनात किया जा रहा है. दोषी अधिकारी पर कार्रवाई के बजाय महत्वपूर्ण पद पर तैनात किये जाने पर राजद ने बिहार में भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति (Zero Tolerance Policy For Corruption) पर सवाल उठाया है. राजद नेता प्रवीण कुमार (RJD leader Praveen Kumar) ने आरोप लगाया कि प्रदेश में अफसरशाही बेलगाम है. भ्रष्टाचार चरम पर है. जनता त्राहिमाम कर रही है और सरकार लोगों को इधर-उधर की बातों में उलझा रही है.
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छापेमारी में मिली थी अकूत संपत्तिःराजद नेता ब्रिगेडियर प्रवीण कुमार ने कहा कि मोतिहारी के उत्पाद अधीक्षक अविनाश प्रकाश के यहां स्पेशल विजिलेंस यूनिट के छापे में नोट गिनने की मशीन के साथ करोड़ों की संपत्ति मिली है. ऐसे अधिकारीयों पर कार्रवाई के बजाय खूब पैसे लेनदेन वाले विभाग में पोस्टिंग कर दी गई, यह कैसी भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है. प्रवीण कुमार ने कहा कि भ्रष्टाचार कितना चरम पर है और सरकार का ही है कैसे संरक्षण मिल रहा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आए दिन मीडिया में खबर आती है कि आज इस अधिकारी के घर पर छापा मारा गया. कल उस अधिकारी के घर छापा मारा गया और छापेमारी में अकूत संपत्ति का पता चला है. लेकिन ऐसे अधिकारियों पर सरकार के तरफ से कोई कार्रवाई नहीं होती बल्कि उन्हें और पैसे की लेनदेन वाले पद पर पोस्टिंग कर दी जाती है.
करप्शन अधिकारियों को सेंसिटिव पदों पर पोस्टिंगःब्रिगेडियर प्रवीण कुमार ने कहा कि सैन्य हो या असैन्य किसी भी डिपार्टमेंट में अगर किसी पर भी कोई आरोप लगता है तो उसे निलंबित किया जाता है या फिर उसे पद मुक्त कर उस पर कार्रवाई चलती है. लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे मोतिहारी के उत्पाद अधीक्षक को छापेमारी के बाद अब तक दो बार पोस्टिंग की जा चुकी है. यह सरकार का बेहद शर्मनाक करतूत है. यह दोनों पोस्टिंग सेंसिटिव पदों पर हुई है, जहां सरकारी फंड का काफी दुरुपयोग किया जा सकता है. सरकारी तंत्र के माध्यम से करप्शन को बढ़ावा दिया जा रहा है, करप्शन करने वालों को सरकार की तरफ से संरक्षण दिया जा रहा है.
विकास के लिए ए टू जेड वाली सरकार जरूरीःब्रिगेडियर प्रवीण कुमार ने कहा कि स्थानीय निकायों की बात करें तो 28 ऐसे अधिकारी हैं, जिन्हें डबल इंचार्ज दिया गया है यानी कि वह एक विभाग के अलावा एक अतिरिक्त विभाग संभाले हुए हैं. यह साफ बता रहा है कि अफसरों की कमी है. प्रवीण कुमार ने सवाल उठाया कि बिहार में बेरोजगारी (Unemployment In Bihar) बढ़ी हुई है तो सरकार अफसरों की बहाली क्यों नहीं कर रही यह बड़ा सवाल है. एक अधिकारी को दो विभाग दे कर के अफसरों को भ्रष्टाचार के लिए बाध्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि 229.5 करोड रुपए जो न्यायपालिका के स्ट्रक्चर को डिवेलप करने के लिए यूटिलाइज करना होता है, उसे यूटिलाइज नहीं किया जा सका जबकि केंद्र सरकार ने राशि राज्य सरकार को उपलब्ध करा दी थी. इसके पीछे मुख्य वजह यह था कि सरकार उपयोगिता प्रमाण पत्र व्यवस्था नहीं कर पायी. यह सरकार अब प्रदेश का विकास नहीं कर सकती है और इसके लिए ए टू जेड वाली सरकार (राजद) लाने की आवश्यकता है.
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