पटनाःबिहार विधानसभा के मानसून सत्र में भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India) का राज्य के वित्त पर रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2020-21 का पेश (CAG report in Bihar Assembly) किया गया था. सीएजी रिपोर्ट में 92687 करोड़ खर्च का हिसाब सरकार नहीं दे पाने की पुष्टि हुई है. सीएजी की रिपोर्ट में अनियमितता को लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने वर्तमान सरकार पर निशाना साधा है. राजद ने बिहार में एनडीए सरकार में गंभीर आरोप लगाया है. राजद ने आरोप लगाया है कि बिहार में भ्रष्टाचार चरम है. यह सीएजी की रिपोर्ट में पुष्ट हुई है. वहीं इस मामले में सरकार चुप्पी साधे हुई है.
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'बिहार में पुल उड़ रहा, सरकार कहती है विकास हो रहा':राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि सीएजी की अपनी रिपोर्ट में साफ कर दिया है कि बिहार के किन-किन विभागों में वित्तीय अनियमितता हो रहा है. इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन सब रिपोर्ट पर चुप्पी साधे रहते हैं. हम लोग शुरू से कहते रहे हैं कि बिहार में सभी विभागों में भ्रष्टाचार हो रहा है. लेकिन वर्तमान सरकार पता नहीं, क्यों इन सब बातों पर चुप्पी साधे रहती है. जनता सब कुछ देख रही है कि किस तरह से हवा में बिहार में पुल उड़ जाते हैं. किस तरह से राजधानी पटना में जलजमाव होता है. किस तरह से थोड़ी सी बारिश में एनएमसीएच जैसे अस्पताल में पानी भर जाता है. बावजूद इसके सरकार जो विकास का दावा करता है. वह सीएजी रिपोर्ट ने पोल खोल कर रख दिया है.
"बिहार में चारों तरफ भ्रष्टाचार है बावजूद इसके सरकार इसकी जांच नहीं करवा रही है सीएजी हर वित्तीय वर्ष में अनियमितता का रिपोर्ट पेश करता है लेकिन सरकार फिर विभागों से इसको लेकर कोई जानकारी भी नहीं देती है यह दुर्भाग्यपूर्ण है निश्चित तौर पर जिन विभागों को लेकर सीएजी ने रिपोर्ट पेश की है सरकार को बताना चाहिए कि आखिर किन कारणों से विभाग ने अपने रिपोर्ट को अपूर्ण छोड़ा है जनता यह जानना चाहती है की किस वजह से सीएजी सरकार को वित्तीय अनियमितता को लेकर आईना दिखाते रहती है.'' -मृत्युंजय तिवारी, राजद प्रवक्ता
92687 करोड़ का उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित होने पर उठ रहे हैं सवालः वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य में 29827 करोड़ रुपए का राजकोषीय घाटा दर्ज किया गया है. पिछले वर्ष की तुलना में यह 15103 करोड़ रुपया बढ़ गया है. वित्तीय वर्ष 2004-05 के बाद 2020-21 के दौरान दूसरी बार 11325 करोड़ के राजस्व घाटे का सामना करना पड़ा है. वहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2021 तक 92687.31 करोड़ उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित थे. कैग ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि अधिक मात्रा में उपयोगिता प्रमाण पत्र लंबित रहना राशि के दुरुपयोग एवं धोखाधड़ी के जोखिम को बढ़ाता है. सीधे शब्दों में कहें तो कैग ने भारी गड़बड़ी की तरफ इशारा किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अग्रिम राशि का समायोजन नहीं होना धोखाधड़ी हो सकता है.
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