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RJD ने किया दावा- महागठबंधन में सब ठीक, हमारे संपर्क में NDA के कई घटक दल - mahagathbndhan

मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया कि महागठबंधन में ऑल इज वेल है. सीट बंटवारे को लेकर लगातार घटक दलों से बातचीत चल रही है. असल परेशानी तो एनडीए में है जहां लोजपा और जेडीयू के बीच की खटास पूरे गठबंधन को ले डूबने वाली है.

Mrityunjay Tiwari
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Published : Sep 24, 2020, 12:53 PM IST

पटना:रालोसपा के साथ सीट शेयरिंग की खींचतान के बीच आरजेडी ने महागठबंधन में सब ठीक होने का दावा किया है. आरजेडी का कहना है कि परेशानी एनडीए में है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि एनडीए चुनाव से पहले ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएगा, क्योंकि उसके कई घटक दल उनके संपर्क में हैं.

'महागठबंधन में ऑल इज वेल'
मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया कि महागठबंधन में ऑल इज वेल है. सीट बंटवारे को लेकर लगातार घटक दलों से बातचीत चल रही है. असल परेशानी तो एनडीए में है जहां लोजपा और जेडीयू के बीच की खटास पूरे गठबंधन को ले डूबने वाली है. राजद नेता ने दावा किया कि एनडीए के घटक दल महागठबंधन के संपर्क में हैं. एनडीए में परेशानी इसलिए है क्योंकि महागठबंधन का दायरा बढ़ता जा रहा है.आरजेडी प्रवक्ता ने कहा कि चुनाव के बाद एनडीए का नामो-निशान मिट जाएगा.

मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता

सीट बंटवारे के फॉर्मूले से खुश नहीं रालोसपा
भले ही आरजेडी नेता महागठबंधन में ऑल इज वेल की बात कर रहे हों लेकिन, खींचतान वहां भी बनी हुई है. रालोसपा महागठबंधन में सीट बंटवारे के फॉर्मूले से खुश नहीं हैं. आरजेडी के फॉर्मूले के मुताबिक रालोसपा झुकने को तैयार नहीं. सूत्रों के मुताबिक रालोसपा कम से कम 23 सीटों के डिमांड कर रही है लेकिन आरजेडी इतनी सीटें रालोसपा को देने को तैयार नहीं.

आरजेडी और रालोसपा के बीच बढ़ रही दूरियां
बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर महागठबंधन में रालोसपा को इस बार 10 से 12 सीटों से ज्यादा देने को आरजेडी तैयार नहीं है. लोकसभा चुनाव में रालोसपा और वीआईपी पार्टियां कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. सूत्रों के मुताबिक पार्टी सुप्रीमो ने ये साफ कर दिया है कि जब तक उनके पास पर्याप्त संख्या में जीतने लायक उम्मीदवार ना होंं तब तक उन्हें इतनी सीटें नहीं मिल सकती जितनी की रालोसपा मांग कर रही है.इसी वजह से आरजेडी और रालोसपा के बीच दूरियां बढ़ रही हैं.

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को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मांग नहीं हुई पूरी
इस सिलसिले में रालोसपा ने अहम बैठक भी बुलाई है. इस बैठक में रालोसपा भविष्य की राजनीति को लेकर संकेत दे सकती है. हालांकि आरजेडी इसे प्रेशर पॉलिटिक्स का एक हिस्सा मान रही है. महागठबंधन ने को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मांग के पीछे भी यही वजह थी कि महागठबंधन में नेतृत्व के सवाल पर सभी दलों के नेता मिलकर फैसला ले. बंटवारे पर भी आम राय से फैसला हो.

मांझी की राह पर कुशवाहा
हालांकि को-ऑर्डिनेशन कमेटी नहीं बनी और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा प्रमुख जीतन राम मांझी ने महागठबंधन से किनारा कर लिया. अब रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी मनमाफिक सीटें नहीं मिलने पर आरजेडी पर दबाव बना रहे हैं. लेकिन आरजेडी झुकने को तैयार नहीं है. इसीलिए कयास लगाए जा रहे कि रालोसपा भी अब महागठबंधन से अलग हो सकती है.

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