पटना:बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) में आरजेडी मुख्य विपक्षी दल है और तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल है. विधानसभा में आरजेडी मजबूती से सरकार की नीतियों को प्रभावित करती है, लेकिन विधान परिषद में आरजेडी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी नहीं कर पाती है. विधान परिषद में आरजेडी (RJD in Bihar Legislative Council) को विपक्षी दल का दर्जा हासिल नहीं है. विधान परिषद चुनाव एनडीए और महागठबंधन के लिए साख की लड़ाई बन गई है. आरजेडी को जहां विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल करना है. वहीं, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को अपने पिछले परफॉर्मेंस को दोहराने की चुनौती है.
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RJD को तीन MLC की दरकार:विधान परिषद में फिलहाल एनडीए का दबदबा है. मौजूदा 51 में से 40 सदस्य एनडीए गठबंधन के हैं. विधान परिषद में विपक्षी खेमे में सिर्फ 11 सदस्य हैं, जिसमें आरजेडी के सदस्यों की संख्या 5 है. आरजेडी 24 सीटों में से ज्यादा से ज्यादा सीट जीतकर विधान परिषद में मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है. सबसे अहम बात यह है कि राबड़ी देवी को विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा तब मिल पाएगा जब 3 सीटों पर आरजेडी जीत हासिल कर लेगी. बता दें कि आरजेडी के लिए पटना के कार्तिक सिंह, रोहतास से कृष्णा सिंह, सिवान से विनोद जायसवाल, मधुबनी से मो.आलम, मुंगेर से अजय सिंह, गया से रिंकू यादव और खगड़िया से मनोहर यादव मजबूत दिख रहे हैं.
''साख हमारी दांव पर नहीं है, साख एनडीए की दांव पर है. जो 24 सीट का चुनाव हो रहा है उसमें 21 से अधिक सीट एनडीए की है. विधान परिषद में हम इस बार बेहतर परफॉर्म करने जा रहे हैं. कम से कम 10 सीटों पर विधान परिषद में हमारी जीत होगी. नेता प्रतिपक्ष का दर्जा हासिल करने के लिए हमें हमें 3 सीटों की दरकार है, जबकि हम 10 से ज्यादा सीटें जीतने जा रहे हैं.''-एजाज अहमद, आरजेडी प्रवक्ता