पटना:बिहार विधानसभा में फिलहाल एनडीए के 127 विधायक (NDA 127 MLA In Bihar)हैं जिसमें बीजेपी के 77, जदयू के 45, जीतन राम मांझी के 4 और एक निर्दलीय विधायक का समर्थन है. दूसरी तरफ महागठबंधन खेमे की बात करें तो महागठबंधन के पास 115 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. जिसमें आरजेडी के पास 80, कांग्रेस 19, माले 12, सीपीआई 2, सीपीएम के दो सदस्य है. बिहार विधानसभा में 243 विधायक हैं. उस हिसाब से बहुमत के लिए किसी भी दल या गठबंधन को 122 सीट की जरूरत पड़ती है. एनडीए बहुमत से फिलहाल पांच विधायक अधिक है तो वहीं महागठबंधन खेमा बहुमत से 7 विधायक पीछे है.
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तेजस्वी सरकार बनाने से सात कदम दूर :नेता प्रतिपक्षतेजस्वी यादव (Leader Of Opposition Tejashwi Yadav) ने संकेत भी दिया है कि बड़ी पार्टी झुनझुना बजाने के लिए तो नहीं बनाया है. साफ इशारा है कि बिहार में आने वाले दिनों में राजनीतिक रूप से बड़ा उलटफेर हो सकता है और इसके कयास भी लग रहे हैं. क्योंकि जीतन राम मांझी के चार विधायक एआईएमआईएम में टूट के बाद भी एक विधायक अख्तरुल इमान के रूप में बचे हुए हैं. एक निर्दलीय विधायक जो अभी जदयू को सपोर्ट कर रहा है, मंत्री भी हैं सुमित. इन सब पर तेजस्वी की नजर है. पिछले दिनों पूर्व मंत्री और सुमित सिंह के पिता नरेंद्र सिंह को देखने तेजस्वी यादव अस्पताल भी गए थे और उन्हें अपने पिता के संघर्षों का साथी बताया था. एक तरह से सुमित सिंह पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. अख्तरुल इमान भले ही अपने विधायकों के जाने से नाराज हैं लेकिन सरकार बनाने की स्थिति में तेजस्वी यादव को सपोर्ट कर सकते हैं.
कभी भी बिहार में हो सकता है बड़ा उल्टफेर :जीतन राम मांझी भी पाला बदलने में मास्टर हैं जो जगजाहिर है. इसलिए कोई बड़ा फैसला ले लें आश्चर्य की बात नहीं होगी. केवल 1 विधायकों की और जरूरत होगी. लालू यादव राजनीति के बड़े माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं और इन दिनों पटना में हैं. 1 विधायकों का जुगाड़ करना बहुत मुश्किल काम नहीं है. एनडीए की सरकार जब बन रही थी तो लालू प्रसाद यादव ने जेल से ही कई विधायकों को फोन किया था. हालांकि उस समय अभियान सफल नहीं हुआ. बीजेपी के ललन पासवान ने तो इसकी जानकारी भी दी थी. लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए कहना मुश्किल है. फिलहाल बहुमत जरूर एनडीए के पास है लेकिन बीजेपी और जदयू के बीच जिस प्रकार से नूरा-कुश्ती चल रही है. उसको लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.
AIMIM में टूट से RJD बनी सबसे बड़ी पार्टी : हालांकि लगातार दोनों तरफ से सरकार चलने के दावे किए जाते रहे हैं लेकिन हाल में अग्निपथ योजना को लेकर जिस प्रकार से जदयू नेताओं का बयान आया और फिर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने बयान दिया और केंद्र सरकार की ओर से बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और बीजेपी कार्यालयों को सुरक्षा दी गई. उसको लेकर भी जदयू खेमा खुश नहीं है. विधानसभा सत्र के दौरान उत्कृष्ट विधायक के चर्चा के दौरान भी अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई थी, विपक्ष के साथ जदयू के विधायक भी सदन नहीं पहुंचे थे. बीजेपी और जदयू के बीच एक के बाद एक कई मुद्दों पर नाराजगी है और ऐसे में कोई बड़ा खेल हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए.
बिहार विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या- 243
एनडीए का आंकड़ा-127
बीजेपी- 77
जदयू- 45
HAM- चार
निर्दलीय-1