पटना: बिहार की राजनीति में बदलाव की बयार बह रही है. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की नजदीकियों का साइड इफेक्ट अब बिहार की सियासत में दिखने लगा है. जैसे-जैसे नीतीश लालू से नजदीक गए, वैसे-वैसे जगदानंद सिंह (RJD State President Jagdanand Singh) की दूरियां बढ़ती गई. अब जगदानंद सिंह ने आरजेडी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी खुद को किनारा कर लिया. तेजस्वी यादव और लालू यादव की सियासत में आरजेडी की राजनीति उलझ गई है.
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आरजेडी की ए टू जेड की राजनीति से सवर्णों का हो रहा सफायाः जगदानंद सिंह प्रकरण राष्ट्रीय जनता दल के लिए दोहरा झटका है. एक ओर तेजस्वी की ए टू जेड सियासत पर सवाल उठने लगे हैं, तो दूसरी ओर पार्टी को एक कुशल संगठनकर्ता खोने का डर है. रघुवंश प्रसाद सिंह भी पार्टी की संस्कृति से नाराज हुए थे और अस्पताल से ही उन्होंने इस्तीफा भेज दिया था. ब्रह्मर्षि समाज से आने वाले कार्तिक सिंह को भी मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा. उसके कुछ दिनों के बाद क्षत्रिय समाज से आने वाले सुधाकर सिंह से भी इस्तीफा ले लिया गया और अब जगदानंद सिंह की नाराजगी ने राष्ट्रीय जनता दल को पसोपेश में डाल दिया है. तेजस्वी की ए टू जेड पॉलिटिक्स भी अब संकट में दिख रही है. आरजेडी कोटे के एक भी सवर्ण मंत्री अब कैबिनेट में नहीं है.
जगदानंद सिंह के इस्तीफे पर संशय बरकरारः लालू प्रसाद यादव एक बार फिर बिहार की राजनीति में सक्रिय दिख रहे हैं. पार्टी ने 12वीं बार उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना है, लेकिन खास बात यह रही कि उनके चयन के मौके पर उनके सबसे करीबी नेता जगदानंद सिंह मौजूद नहीं रहे. प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर जगदानंद सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से दूरी बना ली. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष दिल्ली में मौजूद रहे, लेकिन 2 दिनों के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नहीं हुए. जगदानंद सिंह की नाराजगी अब तक कम नहीं हुई है. लालू प्रसाद यादव ने प्रदेश कार्यालय पहुंचकर जगदानंद सिंह को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए मनाया था. तत्काल वह मान भी गए थे, लेकिन उनके एक बयान के बाद तेजस्वी यादव का बयान आया जिससे तल्खी बढ़ गई. दरअसल, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बयान दिया था कि 2023 में तेजस्वी यादव बिहार के मुख्यमंत्री होंगे. इसे लेकर जेडीयू खेमे में नाराजगी थी. फिर उपेंद्र कुशवाहा ने बयान भी दिया था.
वापस लौटने के मूड में नहीं दिख रहे जगदा बाबूःजेडीयू की नाराजगी को देखते हुए तेजस्वी यादव ने कहा था कि गठबंधन पर मेरे सिवा कोई बयान नहीं देगा. इस बाबत चिट्ठी भी जारी कर दी गई है. प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को यह नागवार गुजरा कि नीतीश कुमार के दबाव में मुझे गठबंधन पर भी बोलने से रोका जा रहा है. अपने पुत्र सुधाकर सिंह को मंत्रिमंडल से हटाया जाने को लेकर उनकी नाराजगी पहले से थी. जगदानंद सिंह ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल न होकर अपने इरादे जाहिर कर दिए कि वह वापस लौटने के मूड में नहीं है. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के बयान से उनके वापसी की संभावना पर विराम लगता दिख रहा है. संभव है कि जगदानंद सिंह आने वाले कुछ दिनों में बड़ा फैसला ले सकते हैं.