पटना:केंद्र सरकार ने जब से कृषि कानून (Farm Law) वापस लिया है, उसके बाद से विपक्ष के हौसले बुलंद नजर आ रहे हैं. बिहार में मुख्य विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (Rashtriya Janata Dal) का कहना है कि वो अब जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाएगा. राजद ने कहा कि जातीय जनगणना होने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा. इधर, कांग्रेस ने राजद के इस प्रस्ताव से पल्ला झाड़ लिया है और कहा कि बिहार में और भी कई मुद्दे हैं, जिन पर एक राय बनाना जरूरी है.
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एक साल से केंद्रीय कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे विपक्ष और किसानों ने तब जीत का जश्न मनाया जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन तीनों कानून को वापस लेने का एलान किया. पिछले साल दिसंबर में राष्ट्रीय जनता दल ने कृषि कानून के विरोध में प्रदर्शन किया था. तब से जितनी बार भी इसके विरोध में बंद और प्रदर्शन हुए तब राजद ने इसे पुरजोर समर्थन दिया. इस कानून को वापस लेने को राजद ने किसानों की बड़ी जीत बताया और अब उसी तरीके से जातीय जनगणना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर दबाव बनाने की बात कह रहा है.
दरअसल, जातिगत जनगणना की मांग करते हुए तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की थी, जिसके बाद बिहार के कई दलों का शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मिला था. हालांकि, केंद्र सरकार ने बाद में स्पष्ट कर दिया कि इसे कराने का उनका कोई विचार नहीं है. अगर कोई राज्य चाहे तो खुद के स्तर पर जातिगत जनगणना करा सकते हैं.
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''जातीय जनगणना पर पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता है, क्योंकि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसी से पता चलेगा कि हमें महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ कैसे समाज के जरूरतमंद तबके तक पहुंचाना है.''- रामानुज प्रसाद, प्रदेश प्रवक्ता और विधायक राजद