पटना: बीते शुक्रवार की रात से राज्य के विभिन्न हिस्सों में आफत की बारिश होती रही, सालों बाद बिहार में ऐसे हालात बने हैं. लगातार हो रही इस बारिश ने सैलाब ला दिया और लोगों को बेहद मुश्किल भरे हालातों से गुजरना पड़ा. हालांकि बारिश अभी रुक गई है लेकिन परिस्थितियां बेहद मुश्किल बनी हुई है. ईटीवी भारत की टीम ने इन मुश्किल हालातों में भी अपना काम किया और तमाम जानकारियां अपने दर्शकों तक पहुंचाई.
जलजमाव को सरकार दे रही आपदा का नाम
सरकार हालात सामान्य करने के दावे कर रही है. मंत्री, नेता सभी आश्वासन देते नजर आ रहे हैं, लेकिन तस्वीर जस की तस बनी है. जलजमाव को सरकार आपदा का नाम दे रही है. अब तक सितंबर के इस सैलाब ने 40 से ज्यादा जिंदगियां लील ली है. जो जिंदा हैं, वो भी भयानक परिस्थितियों से जूझ रहे हैं. मरीज, बुजुर्ग, बच्चें इन सभी को विशेष परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं.
बिहार में बारिश से इमरजेंसी जैसे हालात
राजधानी पटना में चार दिनों तक हुई लगातार बारिश से 45 वर्षों बाद बाढ़ जैसे हालात बन गए. आलम ये है कि बारिश के पानी ने लोगों को 'जल कैदी' बना दिया. पुलिस मुख्यालय में हालात की गंभीरता के मद्देनजर स्टेट इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर खोला गया, पटना में हेल्पलाईन नंबर जारी किए गए, एयरफोर्स ने पटना के कंकड़बाग और राजेंद्रनगर इलाकों में लोगों तक फूड पैकेट्स एयर ड्रॉप किए.
राजधानी के इस सूरत-ए-हाल के लिए जिम्मेदार कौन
बारिश अब थम चुकी है, हालांकि जलजमाव की समस्या बरकरार है. पानी निकालने की कोशिश जारी है. लेकिन इस सबके बीच अहम सवाल ये कि राजधानी के इस सूरत-ए-हाल के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है. क्योंकि एक ओर जहां शहर को स्मार्ट बनाने के दावे किए जाते हैं, तो दूसरी ओर जलजमाव से बाढ़ जैसे हालात बन गए. सरकार ने हथिया नक्षत्र पर ठीकरा फोड़ा तो विपक्ष और सहयोगी बीजेपी ने भी निशाना साधा. बहरहाल सरकारी तंत्र हालात सामान्य करने की कोशिश में जुटा है. देखना होगा कि राजधानी पटना आखिर कब तक अपने पुराने रूप में वापस आ पाएगी.