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जोर तो है लेकिन जोड़ नहीं.. फिर Regional से National पार्टी कैसे बनेगी JDU?

बिहार की सत्ताधारी पार्टी जदयू राष्ट्रीय पार्टी ( National Party ) बनने के लिए लगातार जद्दोजहद कर रही है. लेकिन पांच राज्यों के चुनाव में जदयू की तैयारी से ऐसा नहीं लगता है कि पार्टी का क्षेत्रीय दल का तमगा ( regional party tag ) इस बार भी समाप्त होगा. पढ़ें पूरी खबर...

Assembly Elections in Five States
Assembly Elections in Five States

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Published : Jan 14, 2022, 6:00 PM IST

पटना: देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव ( Assembly Elections in Five States ) हो रहा है और बिहार की सत्ताधारी दल जदयू ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. पिछले साल राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ही है फैसला हुआ था. पार्टी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ( JDU President Lalan Singh ) और संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ( Parliamentary Board President Upendra Kushwaha ) को बड़ी जिम्मेवारी मिली थी और कहते भी रहे कि नीतीश मिशन पर हम लोग काम कर रहे हैं. इसमें पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी बनाने की कोशिश है, लेकिन पांच राज्यों के चुनाव में जदयू की तैयारी से ऐसा नहीं लगता है कि पार्टी का क्षेत्रीय दल का तमगा इस बार भी समाप्त होगा.

दरअसल, जदयू ने पिछले साल ही ऐलान किया था कि 5 राज्यों के होने वाले चुनाव में पार्टी भाग लेगी और पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिलाने का प्रयास होगा. लेकिन पांच राज्यों में से मणिपुर और गोवा में कुछ सीटों पर राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है तो वहीं उत्तर प्रदेश में अभी भी मामला फंसा हुआ है. पंजाब और उत्तराखंड में तो पार्टी की कोई रणनीति अभी तक सामने नहीं आई है.

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ऐसे में बड़ा सवाल है कि पार्टी का राष्ट्रीय पार्टी बनाने का मिशन इस बार भी कामयाब होता नहीं दिख रहा है. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अभी तक सक्रियता नहीं दिख रही है. ऐसे में पार्टी का चुनावी कार्यक्रम भी कहीं नजर नहीं आ रहा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ( MP Bashistha Narain Singh ) का कहना है कि जो भी नहीं है कि पांच राज्यों के चुनाव से हैं. राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाए लेकिन एक न एक दिन जदयू को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा जरूर मिलेगा.


वहीं, जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा का कहना है कि पार्टी की पूरी कोशिश है कि पांच राज्यों के चुनाव में हम इतना वोट लाएं, जिससे राष्ट्रीय पार्टी के दर्जा के लिए जो जरूरी है, उसे प्राप्त कर सकें और उस मिशन में हम लोग अभी भी लगे हुए हैं. जहां तक चुनाव प्रचार की बात है तो जिसे जो जिम्मेवारी मिलेगी, उसके हिसाब से काम होगा.

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राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय नेता हैं और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना है तो निश्चित रूप से बिहार से बाहर दूसरे राज्यों में मजबूती से चुनाव लड़ना होगा. फिलहाल पांच राज्यों के चुनाव में पार्टी कहीं दिख नहीं रही है.


राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए भारत निर्वाचन आयोग की अहर्ता

भारत निर्वाचन आयोग ने तीन अहर्ता रखी है और तीनों में से यदि कोई पार्टी एक भी अहर्ता को पूरा करती है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा आयोग देता है.

  • 3 राज्यों के लोकसभा चुनाव में 2 फीसदी सीटें जीतना.
  • 4 लोकसभा सीटों के अलावे किसी लोकसभा या विधानसभा चुनाव में 6 फीसदी वोट प्राप्त करना
  • 4 या अधिक राज्यों में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना.

फिलहाल जदयू इन तीनों अहर्ता में से किसी भी अहर्ता को कंप्लीट नहीं कर रहा है. जदयू का अभी केवल 2 राज्यों में ही राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. एक बिहार और दूसरा अरुणाचल प्रदेश में. ऐसे में पार्टी को कम से कम दो और राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना होगा. ऐसे पार्टी ने नॉर्थ ईस्ट में भी अपनी कमेटी बना दी है लेकिन लगातार जिस प्रकार से दावे किए जा रहे थे कि पांच राज्यों के चुनाव में पार्टी मजबूती से उतरेगी, वैसा कहीं पार्टी की ओर से से दिख नहीं रहा है.

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गौरतलब है कि जदयू पिछले डेढ़ दशक से भी अधिक समय से राष्ट्रीय पार्टी बनने की कोशिश में लगा है. हालांकि बिहार की किसी भी प्रमुख राज्य स्तरीय और क्षेत्रीय पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा अभी प्राप्त नहीं हुआ है ना तो जदयू को और ना ही आरजेडी को. देश में फिलहाल 7 पार्टियों को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला हुआ है. इसके अलावा राज्य स्तरीय पार्टियों की संख्या 35 है तो वहीं क्षेत्रीय पार्टियों की संख्या 329.

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बता दें कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद भारत निर्वाचन आयोग से कई तरह की सुविधा मिलती है. एक तो चुनाव चिह्न मिल जाता है जो पूरे देश में मान्य होता है. दूसरा निर्वाचन सूची भी मिलती है और रेडियो-टीवी पर प्रसारण करने की भी सुविधा मिलती है. जदयू फिलहाल पांच राज्यों के चुनाव में सबसे अधिक नजर यूपी चुनाव पर लगा रही है लेकिन बीजेपी से तालमेल का पेंच फंसा हुआ है. बीजेपी के साथ कुछ सीटों पर समझौता हो जाता है तो जदयू का यूपी में खाता खुल सकता है और पार्टी पूरी ताकत से उसी में लगी हुई है.

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