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BJP के 'महारथी' बने चिराग के 'सारथी', चटाएंगे JDU को धूल!

बिहार में एनडीए से नाता तोड़कर चिराग पासवान ने बिहार की राजनीति में एक नया समीकरण बना दिया है. यही नहीं चिराग पासवान ने बागी नेताओं को अपनी पार्टी से टिकट देकर कइयों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है.

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Published : Oct 7, 2020, 10:38 PM IST

Chirag Paswan LJP in Bihar election 2020
चिराग पासवान

पटना: कोरोना काल में हो रहे बिहार विधानसभा चुनाव Covid-19 से ज्यादा समीकरणों के लिए याद किया जाएगा. यहां हर दिन सियासी गणीत बदल रहे हैं. उम्मीद के विपरीत सियासी खेल हो रहे हैं. बिहार चुनाव में एनडीए से बाहर निकलने के बाद चिराग पासवान जबदरस्त खेल खेल रहे हैं. चिराग के सियासी खेल को देखकर तो ऐसा ही लग रहा है कि बीजेपी के महारथी चिराग के सारथी बनकर जेडीयू का बना बनाया खेल बिगाड़ देंगे.

दिनारा से राजेन्द्र सिंह ठोकेंगे ताल

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 में दिनारा से बीजेपी उम्मीदवार रहे राजेंद्र सिंह बुधवार को लोजपा में शामिल हो गए. राजेंद्र पूर्व में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रह चुके हैं. 2015 विधानसभा चुनाव में जेडीयू के जय कुमार सिंह से राजेंद्र सिंह को महज ढाई हजार वोटों से हराया था. राजेंद्र के चुनावी प्रचार के लिए आरएसएस और एबीवीपी के बड़े-बड़े नेता पहुंचे थे. झारखंड चुनाव के दौरान इन्होंने चुनावी कार्य भी संभाला था. राजेंद्र सिंह का बीजेपी से अलग होना पार्टी के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है.

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हालांकि, राजनीतिक गलियारों में यह बात किसी को हजम नहीं हो रही है. राजनीतिक पंडितों को यह पॉलिटिकल कदम नजर आ रहा है. दिनारा में संघ की अच्छी पकड़ है, अगर राजेंद्र सिंह मैदान में एलजेपी की तरफ से रहेंगे, तो जेडीयू के उम्मीदवार का वोट ही काटेंगे. जेडीयू प्रत्याशी जय कुमार 2010 से दिनारा से लगातार चुनाव जीत रहे हैं.

नोखा से रामेश्वर चौरसिया

नोखा विधानसभा से टिकट कटने के बाद ऐसी चर्चाएं थी कि बीजेपी के कद्दावर नेता रामेश्वर चौरसिया बीजेपी से बगावत करने के लिए एलजेपी की टिकट से चुनावी दंगल में उतरेंगे और ऐसा हुआ भी. रामेश्वर चौरसिया एलजेपी में शामिल हो गए हैं. रामेश्वर नोखा विधानसभा से जेडीयू के खिलाफ ताल ठोकेंगे. दरअसल, एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान उन सभी नेताओं को अपनी पार्टी में मिलाने में जुटे हैं, जिनका जेडीयू और बीजेपी के गठबंधन होने की वजह से इस बार टिकट कट गया है. खासकर वैसी सीट जहां से जेडीयू ने अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं, वहां चिराग विशेष तौर पर मजबूत विकल्प तलाशने में लगे हुए हैं.

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दामोदर का दम निकालेंगे रविंद्र?

एनडीए में रहने के दौरान झाझा विधानसभा सीट जेडीयू के पास ही रहा है. 2015 के चुनाव में बीजेपी यहां से अकेले चुनाव लड़ी थी. पिछले 20 साल से इस सीट से विधायक रहे दामोदर रावत को हरा कर बीजेपी के उम्मीदवार रविंद्र यादव चुनाव जीत गए थे. इस बार यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई है, जिसके बाद रविंद्र यादव ने एलजेपी का दामन थाम लिया है. एलजेपी से रविंद्र को सिंबल मिलने के बाद, झाझा सीट पर भी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है.

बीजेपी की ऊषा बनीं लोजपा की विद्यार्थी

बिहार में एनडीए गठबंधन के बाद से ही पालीगंज विधानसभा सीट बीजेपी के खाते में है. बीजेपी की ऊषा विद्यार्थी 2010 में पालीगंज से विधायक थीं. पार्टी ने 2015 में ऊषा विद्यार्थी का टिकट काट कर रामजन्म शर्मा को टिकट दिया था. रामजन्म शर्मा आरजेडी उम्मीदवार बच्चा यादव से चुनाव हार गए थे. बच्चा यादव इस बार जेडीयू में हैं और सीट भी जेडीयू के खाते में है. पिछली बार टिकट नहीं मिलने पर ऊषा विद्यार्थी ने पार्टी नहीं छोड़ी थी लेकिन इस बार सीट जेडीयू के खाते में गई, तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी और लोजपा में शामिल हो गईं.

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