पटना:सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के काफी करीबी कहे जाने वाले जेडीयू नेता व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) अपने कार्यकाल का 1 साल भी पूरा नहीं कर सके कि पार्टी में उन पर तलवार लटक गयी. पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया. इससे उनके केंद्रीय मंत्रिमंडल में बने रहने को लेकर संशय उत्पन्न होना स्वाभाविक है. जेडीयू के इस प्रकार के फैसले के लिए कई बातें कही जा रही हैं. सीएम नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के साथ उनके संबंधों में आयी खटास समेत कई कारण गिनाये जा रहे हैं. दूसरी ओर आरसीपी सिंह भी इस राजनीतिक परिस्थिति हिम्मत हारने को तैयार नहीं हैं.
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मजबूती से नहीं रख सके पार्टी का एजेंडा: जदयू नेता आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में इस्पात मंत्री हैं. जुलाई 2021 को आरसीपी सिंह मोदी कैबिनेट में शामिल हुए थे. तब वे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और सर्वसम्मति से कैबिनेट का हिस्सा बने थे. आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बने और ललन सिंह को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया. केंद्र में मंत्री बने 11 महीने भी नहीं बीते थे कि नीतीश कुमार का आरसीपी सिंह से मोहभंग होना शुरू हो गया. राज्यसभा में आरसीपी सिंह का कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है. अब आरसीपी सिंह संभावनाओं की तलाश करेंगे. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से भी आरसीपी सिंह को उम्मीदें हैं.
नीतीश कुमार और ललन सिंह के कड़े फैसले लेने की वजह: 1. जदयू नेताओं को यह लग रहा था कि आरसीपी सिंह भाजपा के फोल्डर में जा चुके हैं.
2. आरसीपी सिंह भाजपा और जदयू के बीच सेतु का काम नहीं कर सके.
3. कई मुद्दों पर आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार से दिशा-निर्देश नहीं लिए.
4. नीतीश कुमार पार्टी में दूसरा पावर सेंटर नहीं चाहते थे.
5. आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने के बाद से नीतीश कुमार राजनीतिक सौदेबाजी में कमजोर पड़ रहे थे.