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राकेश टिकैत बोले- 'बिहार में पलायन तब रुकेगा जब किसानों को फसल की बेहतर कीमत मिलेगी'

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Published : Jul 18, 2022, 6:44 PM IST

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत इन दिनों बिहार दौरे पर है. इस दौरान उन्होंने बिहार खेती-बाड़ी से जुड़ी समस्याओं पर खुलकर बातें (Rakesh Tikait Statement On Farmers Condition In Bihar) कही. टिकैत ने कहा कि राज्य में सही तरीके से जल प्रबंधन हो. किसानों को उसके फसल की उचित कीमत मिले ताकि उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो. इससे काफी हद तक पलायन भी रुकेगा. पढें पूरी खबर...

राकेश टिकैत
राकेश टिकैत

पटनाःभारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Bharatiya Kisan Union National Spokes Person Rakesh Tikait ) सोमवार को 3 दिवसीय बिहार दौरे पर पटना पहुंचे हैं. अपने बिहार दौरे पर राकेश टिकैत ने कहा कि राज्य में किसानों को बहुत नुकसान (Loss In Agriculture Sector) हो रहा है. पूरे देश में सबसे पहले बिहार में मंडियां बंद हुई थी. मंडियों के बंद होने का सीधा प्रभाव किसानों के ऊपर पड़ रहा है. व्यापारी सस्ते में माल खरीद कर महंगे दामों पर बेच रहे रहा है. नुकसान यहां के किसानों को हो रहा है. मैं बिहार के गांव में भी जाऊंगा और वहां हालात को देखूंगा. बिहार के लोग सबसे ज्यादा पलायन कर रहे हैं. किसान बाढ़ और सुखाड़ दोनों झेलते हैं.

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बाढ़-सुखाड़ से बचाव के लिए सरकार को नीति बनाना चाहिएःबिहार की जटिल भौगोलिक स्थिति के कारण राज्य के किसान एक ही समय में बाढ़ और सूखाड़ दोनों झेलते हैं. इस परिस्थिति में सरकार का क्या रोल है? सरकार आज भी पलायन क्यों नहीं रोक पाती है. इन सवालों पर राकेश टिकैत ने कहा कि रोजी-रोटी चलाने के लिए लोगों को पलायन करना पड़ता है. सरकार को पॉलिसी बनानी चाहिए. जल संचय के लिए कुछ जगहों पर बांध बनाने चाहिए. जहां सूखा रहता है वहां पानी को डिस्ट्रीब्यूट कर देना चाहिए. अगर पॉलिसी नहीं बनेगी तो नुकसान होगा.


बिहार को मजदूर स्टेट घोषित नहीं किया जाना चाहिएःराकेश टिकैत ने कहा कि कुछ जगहों पर अगर एक फसल ही हो रही है और उसका भाव नहीं मिलती है. किसानों के सामने ये भी बड़ी समस्या है. धान, मक्का, सूरजमुखी की खेती होती है लेकिन उनको भी सही भाव नहीं मिलता है. अगर भाव मिले तो कुछ लोग यहां पर रुक जाएंगे. पलायन को रोकना होगा. बिहार को मजदूर स्टेट घोषित नहीं करना चाहिए.


योग्यता नहीं जति के आधार पर चुने जाते हैं राष्ट्रपति उम्मीदवारः उपराष्ट्रपति के पद पर जगदीप धनखड़ का नाम घोषित किया जाना क्या बीजेपी ने किसान आंदोलन से डर कर या फिर मरहम पट्टी लगाने की कोशिश की है ? इस सवाल के जबाव में राकेश टिकैत ने कहा कि यह मरहम पट्टी लगाने की कवायद है. राष्ट्रपति किसी जाति का नहीं होता. क्या बीजेपी राष्ट्रपति के चुनाव को जातिवाद के रूप में देखना चाहती है? उनका कहना था कि साफ हो गया कि जो चुनकर जाते हैं, वह योग्यता के आधार पर नहीं, जाति के आधार पर लेकर आते हैं.


मांगों के लिए देश में आंदोलन कभी खत्म नहीं होने चाहिएः टिकैत ने कहा कि किसान संगठन मजबूत है. बीजेपी यह दिखाना चाहती है कि हमने उपराष्ट्रपति किसान को बनाया है. यह किसान का नाम लेते रहेंगे लेकिन काम नहीं करेंगे. लंबे वक्त तक धरने पर बैठे रहने के बाद आगे क्या योजना है? राकेश टिकैत ने कहा कि देश में आजादी की लड़ाई 200 साल तक लड़ी गई. जब तक खेती-किसान से जुड़े लोगों की बेरोजगारी रहेगी, आंदोलन चलते रहेंगे. आंदोलन कभी खत्म नहीं होते. अपनी मांगों के लिए देश में आंदोलन कभी खत्म नहीं होने चाहिए.

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