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सिर्फ फाइलों में हो रही रेन वाटर हार्वेस्टिंग, नाले में बेकार बह रहा बारिश का पानी

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सरकार से लेकर प्राइवेट संस्थान तक अपने स्तर पर योजना तो चलाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. पटना के सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नदारद है. बारिश होने पर हजारों लीटर पानी नालों के सहारे नदी में वह जाता है.

rain water harvesting
रेन वाटर हार्वेस्टिंग

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Published : Apr 2, 2021, 9:18 PM IST

पटना: राजधानी में हर साल अच्छी बारिश होती है. कभी-कभी तो बारिश इतनी अधिक होती है कि शहर डूबने की स्थिति में आ जाता है. हजारों लीटर पानी नालों के सहारे नदी में वह जाता है. इतनी वर्षा होने के बाद भी रेन वाटर हार्वेस्टिंगयोजना सिर्फ फाइल दर फाइल ही आगे बढ़ रही है.

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रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सरकार से लेकर प्राइवेट संस्थान तक अपने स्तर पर योजना तो चलाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. यदि समय रहते हम सचेत नहीं हुए तो आने वाले दिनों में शहर में पानी की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है.

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सरकारी भवनों में नहीं है रेन हार्वेस्टिंग की व्यवस्था
निगम प्रशासन का दावा है कि निगम के जितने भी भवन हैं उनपर रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम चल रहा है, जबकि सच्चाई कुछ और है. पटना के पुराने सरकारी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नदारद है. कुछ सरकारी भवनों को छोड़ दें तो सभी भवनों में अभी तक रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं की गई है.

विश्वेश्वरैया भवन की बात करें तो दो बिल्डिंग को छोड़कर बाकी सभी बिल्डिंग का पानी नालों के सहारे नदी में बह जाता है. वहीं, विकास भवन की बात करें तो यहां पर भी अमूमन स्थिति वही है. नगर निगम के भवनों की बात करें तो इनके भवन पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग को लेकर अभी तक कुछ नहीं हो पाया है.

अपार्टमेंट में नहीं है रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा
सरकारी प्रावधान के अनुसार हर प्रकार की बिल्डिंग में रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी है. राजधानी पटना में जितने नए अपार्टमेंट बन रहे हैं उनमें पार्किंग के साथ रेन वाटर हार्वेस्टिंग की भी सुविधा होनी चाहिए तभी निगम इसका नक्शा पास करेगा. अभी जितने भी अपार्टमेंट बने हैं या बनने की प्रक्रिया में हैं उन भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नहीं है.

हमने अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों से जानकारी ली कि क्या उनके मकान में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा है तो लोगों ने कहा कि ऐसा नहीं है. अंशु पांडेय ने कहा "मैं जिस अपार्टमेंट में रहता हूं उसका भवन पुराना है. इस भवन में जगह की कमी की वजह से रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नहीं है. बारिश होने पर पानी नाले में बह जाता है."

सरकारी भवन में हो रही रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था
सरकारी और प्राइवेट भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की योजना को लेकर पटना नगर निगम के नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा ने कहा "यह योजना पुरानी है. निगम के जितने भी भवन हैं उनपर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा को लेकर काम चल रहा है."

पटना नगर निगम के नगर आयुक्त हिमांशु शर्मा.

"2021/22 में मुख्य रूप से इस पर काम किया जाएगा. न सिर्फ तालाबों और पोखरों को पुनर्जीवित किया जाएगा बल्कि नए भवन और पुराने मकानों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को भी डेवलप कराने को लेकर योजना बन रही है."- हिमांशु शर्मा, नगर आयुक्त, पीएमसी

क्या है रेन वाटर हार्वेस्टिंग
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में बारिश के पानी को फिल्टर कर जमीन के अंदर भेजने की व्यवस्था होती है. भवन के छत के पानी को पाइप के सहारे 2 फीट चौड़े सीमेंट के बॉक्स में पहुंचाया जाता है. इसके बाद पानी 8 फीट लंबे, 8 फीट चौड़े और 8 फीट गहरे टैंक में जाता है. जहां पर पत्थर की एक तह बिछाने के बाद उसके ऊपर गिट्टी का लेयर बिछाया जाता है. पानी में गंदगी को हटाने के लिए गिट्टी के ऊपर बालू की परत बिछाई जाती है. इससे पानी साफ होकर जमीन के अंदर जाता है, जिससे भूजल रिचार्ज होता है.

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियम
रेन वाटर हार्वेस्टिंग बिल्डिंग बायलॉज में शामिल है. मकान का नक्शा पास कराने के समय यह सुनिश्चित कराना होता है कि उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था होगी. इसके लिए टैक्स में कुछ प्रतिशत की छूट भी दी जाती है. नियम है कि अगर नक्शा में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा मेंशन नहीं है तो नगर निगम मकान या अपार्टमेंट का नक्शा पास नहीं करेगा. निर्माण के समय लोग इस नियम का पालन नहीं करते. नगर निगम या भवन निर्माण विभाग द्वारा नक्शे के अनुसार घर नहीं बनाने पर नकेल नहीं कसा जाता, जिसके चलते लोग अपने घर या अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं करते हैं.

सभी सरकारी भवन में करनी है रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था
सरकारी नई बिल्डिंग बायलॉज 2014 में उल्लेख किया गया है कि जो भवन बनेंगे उनमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था अनिवार्य है. पटना नगर निगम इस मामले में असफल रहा है. शहर में 2 लाख से अधिक मकान हैं. नियम के अनुसार प्रति 100 स्क्वायर मीटर में 60 क्यूबिक मीटर में रिचार्जिंग पीट बनाया जाना चाहिए, लेकिन शहर में एक तिहाई मकान में नियम को फॉलो नहीं किया जा रहा है.

2020 में नगर निगम की 16 नई बिल्डिंग को रेन हार्वेस्टिंग सुविधा लगाने के लिए चुना गया था, लेकिन अभी तक उन भवनों पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा नहीं है. नूतन राजधानी 10 हार्डिंग रोड, पाटलिपुत्र अंचल, एसके पुरी पार्क के पास, कंकड़बाग अंचल टेंपो स्टैंड, अजीमाबाद अंचल मीना बाजार, इंदिरा गांधी सामुदायिक भवन चिल्ड्रन पार्क, राम ज्योति फुले अतिथिशाला, यारपुर राम लोहिया अतिथिशाला, कंकड़बाग अदालतगंज तलाब का एरिया, अदालतगंज के अलावा मौर्या लोक परिषद सभी बिल्डिंग पर रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा लगनी थी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है.

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