पटना :बिहार में राज्यसभा चुनाव हो चुके हैं. अब बारी विधान परिषद चुनाव की है. विधान परिषद चुनाव को लेकर एनडीए में सहमति बन चुकी है. ऐसे में सबकी निगाहें राष्ट्रपति चुनाव पर टिकी है. एनडीए प्रत्याशी के जीत का रास्ता बिहार से तय होना है और नीतीश कुमार निर्णायक भूमिका में हैं. राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भाजपा अंकगणित दुरुस्त करने के लिए सहयोगी दलों के संपर्क में है. नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बीच मुलाकात भी हो चुकी है. लेकिन जदयू की ओर से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अब तक रुख स्पष्ट नहीं है.
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फैसले से चौंकाते रहे हैं नीतीश कुमार :वैसे भी नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव में अपने स्टैंड से सबको चौंकाते रहे हैं. अतीत में भी उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान फैसले से अपने सहयोगी दलों को परेशानी में डाला है. पिछले दो चुनाव की बात की जाए तो जब 2012 में राष्ट्रपति चुनाव हुए थे तब नीतीश कुमार एनडीए के हिस्सा थे. एनडीए ने अपना प्रत्याशी पीए संगमा को बनाया था लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी ने मतदान प्रणव मुखर्जी के लिए किया था. साल 2017 में नीतीश कुमार महागठबंधन के हिस्सा थे. तब महागठबंधन की ओर से मीरा कुमार को प्रत्याशी बनाया गया था और एनडीए ने रामनाथ कोविंद को मैदान में उतारा था. नीतीश कुमार की पार्टी ने रामनाथ कोविंद के पक्ष में मतदान किया था.
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बिहार के पास कुल 81687 मत : बदली हुई परिस्थितियों में नीतीश कुमार की भी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जागृत हुई दिखाई पड़ी है. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद को लेकर नीतीश कुमार भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर दावेदारी पेश करवा चुके हैं. बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में चुने हुए प्रतिनिधि ही वोट डाल सकते हैं. विधान परिषद के सदस्यों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है. आबादी के हिसाब से जनप्रतिनिधियों के वोटों की कीमत तय होती है. राज्यसभा लोकसभा और विधानसभा का कुल 81687 मत बिहार के पास है.
राष्ट्रपति चुनाव का बिहार कनेक्शन : वर्तमान परिस्थितियों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास 54540 मत है तो विपक्ष के खाते में 25024 मत है. बिहार से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कुल मिलाकर 29515 मतों की बढ़त मिल सकती है अगर नीतीश कुमार भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करते (Bihar connection of presidential election)हैं. आइए जानते हैं किस दल के पास कितना वोट है. भाजपा 28189, जदयू 21945, राजद 15980, कांग्रेस 4703 माले के पास 2076 वोट हैं.
बीजू जनता दल की भूमिका अहम :राष्ट्रपति चुनाव के लिए सांसदों और विधायकों के मतों का मूल्य 10 लाख 86 हजार 431 है. जीतने के लिए किसी भी पक्ष को 50% यानी कि 543216 मतों की दरकार होगी. फिलहाल एनडीए के पास 514063 वोट हैं. ऐसे में कुल 30,000 के आसपास मतों की जरूरत एनडीए प्रत्याशी को होगी. वह भी तब जबकि जदयू 21945 मत साथ है. भाजपा को राष्ट्रपति चुनाव में बीजू जनता दल पार्टी से भी समर्थन चाहिए. बीजद के पास कुल 21 एमपी और 113 एमएलए हैं. बीजू जनता दल के पास कुल 3.22% वोट शेयर है. बीजू जनता दल के पास राष्ट्रपति चुनाव में कुल 17492 वोट हैं.
नवीन पटनायक को नीतीश के रुख का इंतजार :राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अब तक जदयू ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि नीतीश कुमार को देश की राजनीति में अलग आईडियोलॉजी के लिए जाना जाता है. जहां तक राष्ट्रपति चुनाव का सवाल है तो अब तक पार्टी की ओर से इस पर फैसला नहीं लिया गया है. राष्ट्रीय नेतृत्व को पूरे मसले पर फैसला लेना है.
''राष्ट्रपति चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रत्याशी को कोई समस्या नहीं होने वाली है. नीतीश कुमार का साथ हमें हर हाल में मिलेगा. प्रधानमंत्री मोदी के हाथ को मजबूत करने के लिए नीतीश कुमार हमारे पक्ष में मतदान करेंगे.''- विनोद शर्मा, भाजपा प्रवक्ता
''इस बार राष्ट्रपति चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण है. नीतीश कुमार और नवीन पटनायक गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. राष्ट्रपति चुनाव में नवीन पटनायक का रुख बहुत कुछ नीतीश कुमार के रुख पर निर्भर करेगा. नीतीश कुमार अगर भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में रहते हैं तो नवीन पटनायक का समर्थन आसानी से मिल सकता है क्योंकि दोनों नेताओं में अच्छी अंडरस्टैंडिंग है. नीतीश कुमार और नवीन पटनायक मजबूती से भाजपा उम्मीदवार के साथ खड़े रहते हैं तो बहुमत का आंकड़ा हासिल करने में बहुत परेशानी नहीं होगी अन्यथा भाजपा को और मशक्कत करनी पड़ सकती है.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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