पटना:बिहार में सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने एनडीए का साथ छोड़ दिया है. आज की तारीख में वो महागठबंधन के हिस्सा हैं. महागठबंधन को चुनौती देने के लिए भाजपा ने बिहार विधानसभा और विधान परिषद में अगड़ी और पिछड़ी जाति पर दांव लगाया है. बीजेपी विधायक दल के नेता के रूप में जहां विजय सिन्हा का चयन किया गया है, वहीं विधान परिषद में सम्राट चौधरी विरोधी दल के नेता होंगे. बिहार विधानसभा और विधान परिषद में नीतीश कुमार का सामना धुर-विरोधियों से होगा. सीएम नीतीश कुमार के राजनीतिक जीवन में विजय सिन्हा एक ऐसा नाम है, जिन्होंने सदन के अंदर नीतीश कुमार को चुनौती दी और स्वच्छंद होकर बिहार विधान सभा का संचालन किया.
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बीजेपी का सीएम नीतीश पर निशाना :कई मौकों पर दोनों नेताओं के बीच मतभेद भी हुए लेकिन विजय सिन्हा ने फैसला अपने हिसाब से लिया. विधानसभा में शताब्दी समारोह के दौरान सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर लगे थे. सदन के अंदर विजय सिन्हा ने नीतीश कुमार को यहां तक कह दिया था कि आसन को आप हतोत्साहित नहीं कर सकते. बिहार में पिछड़ा, अति पिछड़ा वर्ग को साधना बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है. राज्य में कुशवाहा वोट बैंक लगभग 5% है और उसे साधने के लिए पार्टी ने सम्राट चौधरी को विधान परिषद में विरोधी दल का नेता बनाया है. सम्राट चौधरी की सियासत भी नीतीश विरोधी रही है.
सम्राट चौधरी का नीतीश से है पुरानी अदावत :लोकसभा चुनाव के दौरान भी सम्राट चौधरी को बे टिकट होना पड़ा. एक बार जब राज्यसभा जाने का मौका आया तब भी जदयू की सहमति नहीं मिली और जब पार्टी ने किसी तरह राज्यपाल कोटे से विधान परिषद भेजा तो पहली बार विस्तार में जदयू के विरोध के कारण मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जा सके. नीतीश कुमार की नाराजगी सम्राट चौधरी से थी कि जीतन राम मांझी जब मुख्यमंत्री हुए थे और नीतीश कुमार से बगावत की थी तो उन दिनों सम्राट चौधरी ने जीतन राम मांझी का साथ दिया था. नीतीश कुमार से अदावत के चलते बाद में सम्राट चौधरी भाजपा में शामिल हो गए थे.