पटनाः अब कोरोना संक्रमण की जांच की ही तरह ओमीक्रोन की जांच हो सकेगी. जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट (Genome Sequencing Test At IGIMS Patna) के लिए केंद्र से स्वीकृति मिल गई है. जल्द ही आईजीआईएमएस में ओमीक्रोन की जांच होगी. अभी तक सैंपल को दिल्ली भेजा जा रहा है. जिसकी रिपोर्ट मिलने में 5 दिन का वक्त लग रहा है. इससे संक्रमण के फैलने का ज्यादा खतरा है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि सारी तैयारी पूरी कर ली गई है. राशि भी स्वीकृत कर दी गई है.
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'ओमीक्रोन की पहचान के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट जरूरी है. अभी दिल्ली सैंपल भेजा जाता है. जांच में कई दिन लग जाते हैं. मुख्यमंत्री भी इस पर चिंता जाहिर कर चुके हैं. लेकिन बिहार में आईजीआईएमएस में जीनोम सीक्वेंसिंग टेस्ट के लिये केंद्र से अनुमति मिल चुकी है. इसके लिए पूरी तैयारी हो चुकी है. हम लोगों ने राशि भी स्वीकृत कर दी है. अभी जो दिल्ली सैंपल भेजा जाता है, उसमें कम से कम 5 दिन लग जा रहा है. हम लोगों ने 3 दिन में रिपोर्ट देने का आग्रह किया है.'-प्रत्यय अमृत, अपर मुख्य सचिव, स्वास्थ्य विभाग
पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में जीनोमिक्स लैब (Genome Sequencing Test At IGIMS Patna) बनकर तैयार है. संस्थान के अधीक्षक मनीष मंडल ने कहा था कि इसकी जांच के लिए जो खर्च लगता है, उसका फंड सरकार की ओर से आ गया है और किसी भी तरह के फंड की दिक्कत संस्थान को नहीं है. अब आईजीआईएमएस जीनोमिक्स लैब (Genomics Lab At IGIMS Patna) में ही इसकी जांच संभव होगी.
इस प्रक्रिया में एक मरीज की जांच करें या 96 मरीज की जांच की जाए, उसकी कीमत 15 लाख रुपये आती है. इसको लेकर बिहार सरकार को पत्र लिखा गया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे सहित सभी लोगों ने इसपर अपनी सहमति दी. उसके बाद विभाग के पदाधिकारी ने आईजीआईएमएस के जीनोमिक्स लैब का दौरा किया था.
आईजीआईएमएस के अधीक्षक ने बताया कि कोरोना पॉजिटिव मरीजों के वेरिएंट की जांच शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि, राज्य सरकार ने इस जांच में खर्च होने वाली राशि की स्वीकृति दे दी है और अब कोरोना पॉजिटिव मरीज की जिनोम सीक्वेंसिंग की जांच के लिए बाहर सैंपल भेजना नहीं पड़ेगा.