पटना: बिहार में एक बार फिर ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर देखने को मिल रहा है. ईटीवी भारत ने उच्च शिक्षा (Higher Education) में जीईआर (GER) के मामले में बिहार की खराब रैंकिंग को लेकर खबर दिखाई थी. जिसके बाद शिक्षा विभाग (Bihar Education Department) ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक में जीईआर बढ़ाने के मद्देनजर बिहार के 10 जिलों में प्राथमिकता के आधार पर पीजी की पढ़ाई शुरू करने का निर्णय लिया है.
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''राज्य के विभिन्न महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर पढ़ाई प्रारंभ की मांग लगातार की जा रही थी. मुख्यमंत्री द्वारा भी उच्च शिक्षा के विस्तार और सुधार के साथ सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. जिसे देखते हुए शिक्षा विभाग ने एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद ये निर्णय लिया कि जिन जिलों में किसी भी महाविद्यालय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई नहीं हो रही है, उन जगहों से प्रस्ताव प्राप्त होने पर विभाग प्राथमिकता के आधार पर इसकी स्वीकृति देने की कार्रवाई करेगा.''- विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री
इस क्रम में राज्य के 10 जिलों सुपौल, गोपालगंज, कैमूर, किशनगंज, लखीसराय, जमुई, अरवल, बांका, नवादा और शिवहर को चिह्नित किया गया है. इनमें से सुपौल में बीएसएस कॉलेज और जमुई में केकेएम कॉलेज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने की स्वीकृति प्रदान करने की कार्रवाई पूरी की जा चुकी है. शेष जिलों से विधिवत प्रस्ताव प्राप्त होने पर कार्रवाई की जाएगी.
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राज्य के हर पंचायत में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय स्थापित किया गया है. साथ ही सरकार के निर्णयानुसार प्रत्येक अनुमंडल में एक डिग्री महाविद्यालय की स्थापना की जा रही है. ऐसे में अगले चरण में हर जिले में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की व्यवस्था वांछनीय है. जिसके बाद शिक्षा विभाग ने ये फैसला लिया है कि उन जिलों में जहां स्नातकोत्तर की पढ़ाई किसी महाविद्यालय में नहीं हो रही है, वैसे जिलों से संबंधित विश्वविद्यालयों के माध्यम से विधिवत प्रस्ताव और अनुशंसा प्राप्त होते ही सरकार द्वारा इसकी स्वीकृति प्राथमिकता के आधार पर देने की कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि ईटीवी भारत ने ये खबर प्रमुखता से दिखाई थी कि हायर एजुकेशन में कम सीट होने और बिहार के सभी जिलों में डिग्री महाविद्यालय नहीं होने की वजह से हायर एजुकेशन के मामले में बिहार पिछड़ रहा है. इसके अलावा पूरे बिहार में कॉलेज और यूनिवर्सिटी में शिक्षकों और कर्मियों की भारी कमी है. जीईआर यानी सकल नामांकन अनुपात के मामले में बिहार सबसे फिसड्डी राज्यों में से एक है. ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन की वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो का राष्ट्रीय औसत 27.1% है.
वहीं, बिहार का औसत महज 14.5 फीसदी है. ग्रॉस एनरोलमेंट रेश्यो का मतलब 18 से 23 साल की उम्र के छात्र-छात्राओं की संख्या प्रति एक सौ आबादी पर जो इंटर के बाद आगे की पढ़ाई जारी रखती है. बिहार इस मामले में फिसड्डी इसलिए है कि यहां बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं इंटर पास करने के बाद या तो पढ़ाई छोड़ देते हैं या उच्च शिक्षा के लिए बिहार से बाहर चले जाते हैं. इसके पीछे बड़ी वजह बिहार के शिक्षण संस्थानों में सीट और शिक्षकों की कमी है.