पटना:बिहार में पिछले डेढ़ महीने में लगातार राजनीतिक घटनाक्रम (Political upheaval intensifies in Bihar) बदले हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) नए आवास 7 सर्कुलर रोड में शिफ्ट हुए हैं. इफ्तार पार्टियों से नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की नजदीकियां बढ़नी शुरू हुई और फिर जातीय जनगणना के बहाने दोनों के बीच अकेले में आधे घंटे से भी अधिक बातचीत हुई. अब 1 जून को जातीय जनगणना पर सर्वदलीय बैठक (All Party Meeting on Caste Census) होने का फैसला हो चुका है. जातीय जनगणना पर जदयू और आरजेडी के सुर पूरी तरह से मिले हुए हैं, तो वहीं बीजेपी का अलग रुख रहा है.
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RCP को लेकर सस्पेंस बरकरार:राज्यसभा सीटों को लेकर भी मामला उलझा हुआ है. खासकर आरसीपी सिंह पर नीतीश कुमार फैसला नहीं ले पा रहे हैं. 4 दिन पटना में रहने के बाद आरसीपी सिंह दिल्ली चले गए. वो वहां बीजेपी नेताओं से बातचीत भी कर सकते हैं. इसके कारण भी कयासों को बल मिल रहा है. राज्यसभा उम्मीदवार को लेकर नीतीश कुमार ने जिस प्रकार से विधायकों और मंत्रियों को बुलाकर बैठक की है और उसके बाद भी आरसीपी सिंह को लेकर सस्पेंस (Suspense on RCP Singh) बना हुआ है. जदयू की तरफ से विधायकों को 72 घंटे पटना में रुकने की अफवाह भी खूब उड़ी.
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एक के बाद एक बदल रहे घटनाक्रम:बिहार के राज्यपाल भी अचानक मंगलवार को दिल्ली गए हैं. आरसीपी सिंह की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ी है. यहां तक कि टि्वटर हैंडल पर भी प्रधानमंत्री की तस्वीर ही दिखती है. प्रधानमंत्री की तारीफ में लगातार ट्वीट भी करते रहते हैं. इसको लेकर भी नीतीश कुमार और पार्टी के वरिष्ठ नेता नाराज हैं. नीतीश कुमार ने मई महीने में अब तक कैबिनेट की कोई बैठक भी नहीं की है. एक के बाद एक बदल रहे घटनाक्रम के कारण राजनीतिक उठापटक के कयास को बल मिल रहा है.
पलटीमारी के लिए स्थिति अनुकूल नहीं:नीतीश कुमार पहले भी लगातार पाला बदलते रहे हैं, लेकिन इस बार परिस्थितियां उनके अनुकूल नहीं है. संख्या बल के हिसाब से जरूर यदि आरजेडी और महागठबंधन के साथ जाते हैं तो सरकार बनाने के लिए पर्याप्त होगी, लेकिन बिहार में सबसे बड़ी पार्टी अब बीजेपी है. विधानसभा अध्यक्ष बीजेपी के हैं. केंद्र में बीजेपी की सरकार है और राज्यपाल भी बीजेपी के हैं, तो नीतीश कुमार पाला बदलने का यदि कोई फैसला लेते हैं तो उनके लिए सरकार बनाना मुश्किल जरूर होगा, क्योंकि बड़ी पार्टी बीजेपी है. इसलिए राज्यपाल को बीजेपी को ही बुलाना पड़ेगा और उसके बाद क्या घटनाक्रम होगा, फिलहाल उस पर अनुमान लगाना भी मुश्किल है. लेकिन, सारा कुछ दारोमदार आरसीपी सिंह की उम्मीदवारी पर है और लोगों की नजर भी उसी पर है.
''राजनीति में कयास लगते रहते हैं, कोई नई बात नहीं है और परिस्थितियां भी इस बार अलग है, इसलिए स्थितियां आसान नहीं है. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. विधानसभा अध्यक्ष भी बीजेपी के हैं और राज्यपाल यदि सरकार बनाने की नौबत आई तो बीजेपी को ही बुलाएंगे. इसलिए नीतीश कुमार पलटी मार वाली गलती नहीं करेंगे, क्योंकि उनको पता है इस बार उनकी पार्टी तीसरे नंबर की है.''-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ